वरमाला पहन के भागा दूल्हा, मौसम शादियों का है. अपने यहां की शादियों में भी अजीबोगरीब किस्से होते ही रहते हैं. बात जब कानपुर की हो तो फिर कहना ही क्या. बात कुछ यूँ है कि जिले के महाराजपुर क्षेत्र में एक शादी समारोह बड़ी धूमधाम से चल रहा था. कोरोना भले देश भर में आतंक मचाए हो लेकिन शादी वगैरह में उसकी खास दिलचस्पी नहीं है. तो घराती बाराती सब जश्न में डूबे थे. पूरे विधि विधान से कार्यक्रम चल रहा था. लाल जोड़े में सजी दुल्हन स्टेज में पहुंची तो दूल्हे राजा का दिल फड़फड़ाने लगा. दुल्हन ने वरमाला दूल्हे के गले में डाली तो बिना एक पल गंवाए ये भी डाल दिए. फिर अचानक नामालूम क्या हुआ. दूल्हे राजा चुप्पे से साइकिल उठाए और बिना किसी को बताए निकल लिए. शुभ मुहूर्त निकला जा रहा था. पंडित जी मंत्रोच्चारण के बीच बीच में दूल्हे को बुलाये जा रहे थे. उधर दुल्हन बेचारी पसीना पसीना हुई जा रही थी. अभी तो वरमाला ही पहनाई थी कि गायब हो गया. लड़की वालों का धैर्य जवाब देने लगा था तो लड़के वाले ढूंढ ढूंढ के परेशान थे. पूरा गांव छान मारे लेकिन दूल्हे राजा न मिले. मतलब दूल्हा एकदम छुपन छुपाई खेलने पे आमादा था. थक हार के लड़के वाले लड़की वालों को असल बात बताये. पहिले तो उनके पैरों तले जमीन खिसकी और जब लौटी तो लड़के वालों पे फइल गये. जमकर कहासुनी हुई. खूब तू तू मैं मैं हुई. बात सही भी है. लड़का तो साइकिल लेके भाग गया लेकिन लड़की वालों की इज्जत का सवाल था. जिसकी साइकिल लेके भागा वो अलग भिड़ा पड़ा था. घण्टों बहस चलती रही लेकिन कोई फैसला नहीं हो पाया. तभी एक बहुत समझदार, जिम्मेदार और अनुभवी सज्जन प्रकट हुए. बोले क्यों न लड़की की शादी बारात में मौजूद किसी योग्य और अविवाहित लड़के से कर दी जाये. बस फिर क्या था ढुंढाई चालू हो गई. बड़ी मुश्किल से एक को घेर घार के लाये. पहिले तो तैयार नहीं था लेकिन जब कायदे से आँखे दिखाये तब माना. इतने में घर घर की खबर रखने वाले कुछ खबरिया चैनल बताए कि लड़का तो बिचवानी का भाई है. फिर तो सब कोने में दुबके पड़े बिचवानी को दबोचे लिए. तत्काल मेमोरंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग पे दस्तखत हुए. न तो लड़के वालों न लड़की वालों और न ही बिचवानी या उसके भाई के पास कोई और विकल्प बचा था. सो आखिरकार पूरी रस्मो रिवाज से शादी सम्पन्न हो गई. शादी तो खैर हो गई लेकिन न तो वो साइकिल लौटी और न ही भागा हुआ दूल्हा. बाकी लड़की वाले लड़के वालों के खिलाफ तहरीर दे दिए और नये बने दूल्हे राजा अपनी 'एक्सीडेंटल दुल्हनिया' लेके अपने घर वालों को सरप्राइज देने के लिए निकल लिए. यह एक
व्यंग्य लेख है. इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति, पद, संस्था या स्थान की छवि खराब करना नहीं है. न ही इसका कोई राजनीतिक मन्तव्य है