वैक्सीन बना रही मैग्नेट मैन

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वैक्सीन बना रही मैग्नेट मैन, बड़ा लोचा है. समझ भी चक्करघिन्नी हुई जा रही है. कोरोना वैक्सीन का भूत लोगों के दिमाग में ऐसा घुसा है कि जैसे ही पता चलता है कि कोई टीम टीका लगाने आयी है सब सिर पर पैर रखके भाग खड़े होते हैं. राशन, पानी, बिजली तक काटी जा रही है लेकिन न मानने वाले नहीं मान रहे हैं . कोई कह रहा है कि वैक्सीन लगी तो मर जायेंगे कोई कह रहा है कि पागल हो जायेंगे. लेकिन इधर एक नई खोज हुई है. पता चला है कि वैक्सीन लोगों को चुम्बक भी बना रही है. है न मजेदार? मतलब कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगवाइए और फ्री में मैग्नेट मैन बनिये. मजाक नहीं है. महाराष्ट्र के नासिक में ये हो चुका है. तो हुआ यूं कि एक बुजुर्ग वैक्सीन की दूसरी डोज लगवा के घर आये. कुछ हरारत महसूस हुई तो चुपचाप सो गए. जब उठे तो घर वाले हैरान परेशान. बात थी भी हैरानी की. असल में इनके शरीर पर कुछ सिक्के चिपके हुए थे. लोग सोचे कि गर्मी का मौसम है तो ये सब पसीने का खेल होगा. लेकिन दूध का दूध और पानी का पानी करना भी जरूरी था. तत्काल दद्दू को नहलाया गया. तरोताजा होके लौटे तो एक्सपेरिमेंट फिर चालू हुआ. अबकी बार जो हुआ उससे तो सभी की आँखें फ़टी की फटी रह गईं. सिक्के तो छोड़िए उनके बदन पे चम्मच, चमचा, प्लेट सब चिपके जा रहे थे. कुछ ही देर में उनका बदन बर्तनों के स्टैंड में तब्दील हो गया. मजबूती परखने को दद्दू कुछ दूर चले भी लेकिन मजाल है कि कोई चीज एक इंच भी टस से मस हुई हो. उनके सुपुत्र तो और बड़ा खुलासा किये. बोले यूट्यूब पे एक आदमी को ऐसे ही करते देखे थे तो उनके भी मन में ख्याल आ गया. फिर जो हुआ वो सबके सामने है. बात डॉक्टर तक पहुंची तो वो बेहोश होते होते बचे. किसी तरह सम्भले तो बोले कि रिसर्च करके बोलेंगे. वैसे हो सकता है कि दद्दू में ये टैलेंट पहले से हो. वैक्सीन लगने के बाद केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई हो. इसकी जाँच पूरी तत्परता, तल्लीनता, गंम्भीरता और प्राथमिकता के आधार पर करने की जरूरत है. वरना देश भर में ऐसे दो चार टैलेंटेड महापुरुष और मिल गए तो जो लोग वैक्सीन के डर से अभी गाँव छोड़ के भाग रहे हैं कहीं देश छोड़ के ही न निकल लें. यह एक  व्यंग्य लेख है. इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति, पद, संस्था या स्थान की छवि खराब करना नहीं है. न ही इसका कोई राजनीतिक मन्तव्य है.