प्रेमिका से मिलने को प्रेमी बना दुल्हन, तुमसे मिलने को दिल करता है रे बाबा तुमसे मिलने को दिल करता है ये गाना तो सब सुने ही होंगे. तो बस भैया जईसे इन सज्जन का दिल मिलने को कर रहा था वइसे ही ये साहब भी मिलने को पिघले जा रहे थे. ऐसा बौराये कि भैया अच्छा भला आदमी नई नवेली दुल्हन बन बैठा. बात है अपनी यूपी के भदोही की. हुआ यूं कि बैठे बैठे जनाब का मन अपनी प्रेमिका से मिलने को हुआ. देखते ही देखते खुजली बढ़ गई. बस आनन फानन पहुँच गये ब्यूटी पार्लर. इसके बाद मैडम मेकअप करके जो पार्लर के बाहर निकली हैं कि भैया यूँ समझिये कि ताऊते फिर से आते आते बचा है. गोरे गदराए बदन पे लाल साड़ी, कंधे पे पर्स और पैरों में हाई हील की सैंडल पहने मैडम टिकटॉक टिकटॉक करते जो सड़क पे चली हैं कि भैया चलता फिरता ट्रैफिक रुक गया. बादल खड़कने लगे. बिजली गिरती इससे पहले ही जनाब अपनी प्रेमिका के घर एंट्री मार दिए. लेकिन उसकी चाल ढाल औ रंग रूप देख के आस पड़ोस के लौंडे टूट पड़े. प्रेमी पूरा होमवर्क करके निकला था. कुछ देर तक तो खूब लपेटा. लोग भी समझे कि घूँघटे की आड़ में नयी नवेली दुल्हन अपनी सहेली से मिलने आई है. मामला सेट भी हो गया था लेकिन ऐन मौके पे कउनो टंगड़ी फँसा गया. बोला हम तो नई दुल्हन की मुँह दिखाई करेंगे. उसका इतना कहना था कि सब लाइन लगा के खड़े हो गए. फिर क्या था प्रेमी का ऑक्सीजन लेवल खतरे के निशान को पार कर गया. साँस लेने में दिक्कत होने लगी. इससे पहले कि फड़फड़ा के गिरता किसी महापुरुष ने घूँघट खोल दिया. घूँघट के अंदर का नजारा देख के यकायक तमाम के मचलते अरमानों पे चिल्ड बियर पड़ गई. फिर तो सब मिलके प्रेमिका बने प्रेमी का चीरहरण कर दिये. असल में नई नवेली दुल्हन का गेटअप ही प्रेमी का दुश्मन हो गया. जिसने भी मेकअप किया है वो कसम से ऑस्कर अवार्ड का हकदार है. अब प्रेमिका से मिलने जाओगे और वो भी नयी नवेली दुल्हन के भेष में तो शक तो पैदा ही हो जायेगा. भला गाँव गली के मुस्टंडे ऐसे कैसे जाने देंगे. इंट्रोडक्शन नाम की भी तो कोई चीज होती है. इससे पहले कि मामला ज्यादा गर्माता प्रेमी निकल भागा. अच्छा प्लानिंग फूलप्रूफ थी. बाहर बाइक स्टार्ट किये दो साथी पहले से तैनात थे. बाकी भैया दुनिया बड़ी बेरहम है. बेचारा इत्ती मेहनत किया ज्यादा नहीं कम से कम मिलने ही देते. लेकिन ऐसे कैसे. जमाने का तो दस्तूर है कि जो हमारा है वो हमारा है जो हमारा नहीं वो किसी का नहीं. खैर जो भी हो लेकिन भैया आईडिया क्रांतिकारी था. यह एक
व्यंग्य लेख है. इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति, पद, संस्था या स्थान की छवि खराब करना नहीं है. न ही इसका कोई राजनीतिक मन्तव्य है.