कोरोना माता और उनका मंदिर, आजकल कोरोना का हिसाब गड़बड़ाया पड़ा है. हँफ़नी चालू है. ऑक्सीजन लेवल भरभरा के नीचे चला गया है. महीने भर में अर्श से फर्श पे धड़ाम हो गया. लेकिन भैया ये चमत्कार हुआ कैसे. आखिर कौन लोग हैं इसके पीछे? इस सबके जिम्मेदार हैं अपने प्रतापगढ़ वाले. आजकल ये लोग मीडिया में खूब छाये हैं. ठान लिए हैं कि चुप्पे नहीं बैठेंगे. तो भैया अबकी बार ये वो कारनामा कर डाले हैं जो भविष्य में इतिहास की किताबों में दर्ज होगा. पूरी दुनिया हैरान है कि आखिर इन लोगों ने ये किया कैसे.प्रतापगढ़ के गाँव जूही शुक्लपुर वाले एक मंदिर बनवाये हैं. हल्के में मत लीजिये. कोई आम मंदिर नहीं है. ये है दुनिया का पहला व इकलौता कोरोना माता का मंदिर है. मंदिर बनने भर की देर थी कि भक्तों का ताँता लग गया. आस पड़ोस से लेकर दूर दराज तक के गांवों के लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. ये सब भक्त गण जो आये हैं तो कोरोना को अधमरा करके ही उठे हैं. मालूम पड़ता है कि कोरोना ने दिमाग पर भी गहरा असर किया है. वरना जान लेने वालों की पूजा कौन करता है भला. स्टेप बाई स्टेप चलते तो भी ठीक था ये तो डायरेक्ट माता का ही दर्जा दे दिए.माता तो सबसे दयालु होती है. अपने बच्चों की ही जान ले लेने वाली कौन माता है और अगर है भी तो वो माता नहीं कुमाता है. लेकिन गांव वाले भला कहाँ मानने वाले. वो माता मान लिए तो मान लिए.इसी बहाने देश के नाम एक उपलब्धि और जुड़ गई. आज की तारीख में कोरोना का इकलौता मंदिर यहीं है. जीके के लिहाज से बड़ा महत्वपूर्ण सवाल है भैया. लेकिन ज्यादा खीसें भी न निपोरिये. इनको अंधविश्वासी मानने की भूल भूल से भी न करियेगा. मंदिर में कोरोना गाइडलाइन्स का अक्षरशः पालन लिया जा रहा है. यहां तक की कोरोना माता खुद ही मास्क लगाये विराजमान हैं. इनको छूने की इजाजत भी किसी को नहीं है.मास्क लगा के, हाथ धो के फिर दो गज की दूरी से ही दर्शन मिल सकता है. अब कोरोना माता के दर्शन कर रहे है कउनो मजाक थोड़े ही है. वाकई अन्धविश्वास और जागरूकता का अनूठा संगम है ये मंदिर. भैया विश्वास की लकीर बहुत बड़ी है और अन्धविश्वास की तो उससे भी बड़ी है. इसमें कोई दोराय नहीं कि इनके इरादे एकदम स्पष्ट व नेक हैं. सच्चाई भी यही है कि कोरोना का कहर थमना चाहिए उसका जरिया चाहे एलोपैथ हो, आयुर्वेद हो या फिर कोरोना माता का मंदिर. यह एक व्यंग्य लेख है. इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति, पद, संस्था या स्थान की छवि खराब करना नहीं है. न ही इसका कोई राजनीतिक मन्तव्य है.