मां शीतला को सहस्त्र धारा जलाभिषेक कर श्रध्दालु ने की सुख-समृध्दि की कामना

धमतरी, 22 मार्च (हि.स.)। शीतला अष्टमी के पावन अवसर पर दानीटोला स्थित शीतला मंदिर में 22 मार्च को मां शीतला को सहस्त्र धारा अखंड जलाभिषेक करने श्रध्दालु की भीड़ लगी रही। श्रध्दालुओं ने माता को जल अर्पित कर सुख-समृध्दि की कामना की।
माता को जल अर्पित करने मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ लगी रही। धीवर समाज के महासंरक्षक परमेश्वर फूटान, अध्यक्ष नर्मदाप्रसाद जगबेड़हा ने जानकारी देते हुए की मां शीतला स्वास्थ्य एवं स्वच्छता की अधिष्ठात्री देवी है। मां शीतला को जल अर्पण करने से विभिन्न लोगों से सुरक्षा मिलती है। धमतरी नगर के समस्त जन-जन के कल्याण के लिए आयोजन किया गया है। माता को जलाभिषेक करने से सुख-समृध्दि की प्राप्ति होती है। मालूम हो कि शीतला सप्तमी में लोग सात दिन में ठंडा खाते हैं। मंदिर पहुंचकर माता को भी ठंडा भोजन समर्पित करते हैं। माता कोपूड़ी, पकौड़ी, मीठा चांवल, दही और बजारे की रोटी आदि समर्पित करते हैं। ठंडा खाना एक दिन पहले बनाते है और दूसरे दिन ग्रहण करते हैं। मंदिर में शीतला माता की कथा भी सुनते है। शीतला माता के नाम का अर्थ है शीतला यानी शीतलता देने वाली। मान्यता है कि इस पूजा से रोगों से मुक्ति मिलती है। घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। इस समय ठंडा खाने से ऋतु परिवर्तन से होने वाली मौसमी बीमारी जैसे सर्दी, कप, फोडे-फूसी, आंख, त्वचा संबधी बीमारियां होने की संभावना नहीं रहती।
ये है शीतला माता से जुड़ी कथा: ऐसा माना जाता है कि पुराने समय में एक दिन किसी गांव के लोगों ने देवी मां को गर्म खाने का भोग लगा दिया। इससे देवी मां का मुंह जल गया और वहां क्रोधित हो गई। देवी के क्रोध से गांव में आग लग गई। लेकिन एक वृध्दा का घर आग से बच गया। अगले दिन गांव के लोगों को बूढ़ी औरत ने बताया कि उसने शीतला माता को ठंडे खाने का भोग लगाया था। तभी से शीतला माता को ठंडे खाने का भोग लगाने की परंपरा शुरू हुई।
हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा