कबड्डी से पैरालिसिस और फिर टेबल टेनिस चैंपियन तक, अनोखी है ऋषित नथवानी की कहानी

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कबड्डी से पैरालिसिस और फिर टेबल टेनिस चैंपियन तक, अनोखी है ऋषित नथवानी की कहानी


नई दिल्ली, 27 मार्च (हि.स.)। असाधारण हौसले और संघर्ष की मिसाल पेश करते हुए 21 वर्षीय ऋषित नथवानी ने एक जीवन बदल देने वाली खेल दुर्घटना को अपनी जीत की कहानी में बदल दिया। हाल ही में खेलो इंडिया पैरा गेम्स 2025 में पुरुषों की क्लास 5 टेबल टेनिस स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने न केवल अपनी व्यक्तिगत जीत दर्ज की बल्कि भारत के उभरते पैरा एथलीटों के लिए प्रेरणा बन गए।

साल 2017 में एक कबड्डी मैच के दौरान ऋषित नथवानी के साथ एक बड़ा हादसा हुआ। खेलते समय उनकी पीठ में गंभीर चोट लगी, जिससे उनकी रीढ़ की हड्डी पर गहरा असर पड़ा। आंतरिक रक्तस्राव के कारण उनकी नसें क्षतिग्रस्त हो गईं और रीढ़ की हड्डी खिसक गई, जिससे उनका पूरा शरीर गर्दन से नीचे अचल (पैरालाइज्ड) हो गया।

डॉक्टरों ने उनकी स्थिति को गंभीर बताते हुए कहा कि वह शायद ही कभी अपने पैरों पर खड़े हो पाएंगे, लेकिन ऋषित और उनके परिवार ने हार नहीं मानी। मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में दो महीने की कड़ी रिहैबिलिटेशन थेरेपी के बाद उन्होंने धीरे-धीरे अपने ऊपरी शरीर को हिलाने में सफलता पाई।

क्रिकेट से पैरा टेबल टेनिस तक का सफर

ऋषित का पहला लक्ष्य पूरी तरह से ठीक होकर क्रिकेट में वापसी करना था, लेकिन दो साल की फिजियोथेरेपी के बावजूद उनके पैर ठीक नहीं हो पाए, जिससे उन्हें अपने खेल करियर का नया रास्ता अपनाना पड़ा। एक संयोगवश यात्रा के दौरान उनकी मुलाकात कोच अशोक पाल से हुई, जो एक छोटे से शॉप में पैरा टेबल टेनिस सिखा रहे थे। उन्होंने ऋषित की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें इस खेल को अपनाने के लिए प्रेरित किया।

ऋषित ने याद करते हुए बताया कि उन्होंने मुझसे कहा कि अगर मैं टेबल टेनिस खेलूं तो मैं राष्ट्रीय चैंपियन बन सकता हूं। उनकी इस यात्रा की शुरुआत 2021 में हुई, जब उन्होंने अपनी पहली राष्ट्रीय प्रतियोगिता में रजत पदक जीता। इस टूर्नामेंट के फाइनल में वह दिग्गज खिलाड़ी राज अरविंदन से हार गए थे, लेकिन खेलो इंडिया पैरा गेम्स 2025 के सेमीफाइनल में उन्होंने उसी खिलाड़ी को हराकर फाइनल में प्रवेश किया।

दिग्गजों को हराकर जीता स्वर्ण पदक

ऋषित ने खेलो इंडिया पैरा गेम्स 2025 में स्वर्ण पदक जीतने के सफर में दो बड़े अनुभवी खिलाड़ियों को मात दी। उन्होंने न केवल राज अरविंदन से बदला लिया, बल्कि ग्रुप स्टेज में जिन अभिषेक कुमार से हार गए थे, उन्हें भी फाइनल तक पहुंचने के रास्ते में शिकस्त दी। ऋषित ने अपनी जीत के बाद कहा, सब मुझे बधाई दे रहे थे, क्योंकि मैंने दो बड़े खिलाड़ियों को हराकर गोल्ड जीता था। सभी को मुझ पर गर्व था।

वर्ष 2028 पैरालंपिक्स का सपना

ऋषित केवल राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं रुकना चाहते, उनका अगला लक्ष्य 2028 लॉस एंजेलेस पैरालंपिक्स के लिए क्वालिफाई करना है। इसके लिए वह साल में कम से कम छह अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में हिस्सा लेंगे, जिससे उनकी विश्व रैंकिंग में सुधार हो सके। इस सफलता के पीछे उनकी कड़ी मेहनत और उनके परिवार का अटूट समर्थन रहा है, खासतौर पर उनकी मां विधि नथवानी का। उन्होंने कहा, जब ऋषित को चोट लगी थी, डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें खेल छोड़ देना चाहिए, लेकिन आज उसे राष्ट्रीय स्तर पर खेलते देखना गर्व की बात है। ऋषित और उनकी मां अब पैरा स्पोर्ट्स की जागरुकता बढ़ाने के लिए भी काम कर रहे हैं। उनका मानना है कि खेलो इंडिया पैरा गेम्स जैसे प्लेटफॉर्म पैरा एथलीटों को आगे लाने और दिव्यांग खिलाड़ियों को प्रेरित करने में अहम भूमिका निभाते हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील दुबे