भाई के सपनों को पूरा करने के लिए हॉकी में अपना करियर संवार रही हैं माधुरी किंडो

नई दिल्ली, 28 मार्च (हि.स.)। भारतीय महिला हॉकी की उभरती हुई खिलाड़ी माधुरी किंडो ने एक बार फिर अपनी काबिलियत साबित करते हुए सीनियर महिला राष्ट्रीय कोचिंग कैंप के कोर संभावित समूह में जगह बनाई है।
ओडिशा की रहने वाली 23 वर्षीय इस गोलकीपर को लगातार दूसरी बार इस प्रतिष्ठित कैंप के लिए चुना गया है। पहली बार उन्हें 2024 में इसमें शामिल किया गया था। हालांकि, माधुरी अभी सीनियर टीम में डेब्यू नहीं कर पाई हैं, लेकिन वह अपने परिवार, खासकर अपने बड़े भाई मनोज के सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं। मनोज खुद एक राष्ट्रीय स्तर के हॉकी खिलाड़ी रह चुके हैं और फिलहाल आर्मी हॉकी टीम के लिए खेलते हैं।
माधुरी की हॉकी यात्रा महज आठ साल की उम्र में उनके गांव कडोबहाल, राउरकेला में शुरू हुई थी। उन्होंने हॉकी इंडिया के हवाले से कहा, मैंने अपने बड़े भाई मनोज को खेलते देखा, जो ओडिशा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर हॉकी खेल चुके हैं। उन्हें देखकर ही मुझे हॉकी खेलने की प्रेरणा मिली। अपने भाई की तरह माधुरी भी भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहती हैं और उनके अधूरे सपने को पूरा कर ने के लिए खुद को समर्पित कर चुकी हैं।
परिवार का समर्थन और शुरुआती संघर्ष
एक साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली माधुरी के पिता किसान हैं और मां गृहिणी। हालांकि, आर्थिक चुनौतियां थीं, लेकिन परिवार ने हमेशा उनका साथ दिया। माधुरी ने कहा, मेरे पिता ने हमेशा मुझ पर भरोसा किया और मेरे करियर को आगे बढ़ाने में मेरी बुआ (पिता की बहन) का बड़ा योगदान रहा। अगर उनका सहयोग न होता, तो शायद मैं यहां तक नहीं पहुंच पाती।
उनके माता-पिता ने हमेशा उन्हें मेहनत करने के लिए प्रेरित किया और भविष्य की चिंताओं से दूर रहने की सीख दी। माधुरी ने भावुक होते हुए कहा, वे कहते थे कि सिर्फ वर्तमान में अपना सर्वश्रेष्ठ दो, बाकी सब खुद-ब-खुद अच्छा होगा। मैं चाहती हूं कि एक दिन लोग मेरे माता-पिता को मेरे नाम से जानें।
माधुरी की पेशेवर हॉकी यात्रा 2012 में तब शुरू हुई जब उन्होंने पानपोष स्पोर्ट्स हॉस्टल, राउरकेला जॉइन किया। वहां कोच अमूल्य नंद बिहारी के मार्गदर्शन में उन्होंने अपने खेल को निखारा। 2021 में, वह भारतीय जूनियर महिला टीम का हिस्सा बनीं और 2023 जूनियर एशिया कप में गोल्ड मेडल जीतने वाली टीम में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद, उन्होंने 2023 जूनियर वर्ल्ड कप में भी हिस्सा लिया और अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर 2024 में सीनियर राष्ट्रीय कैंप में जगह बनाई।
दिलचस्प बात यह है कि माधुरी ने अपने करियर की शुरुआत एक डिफेंडर के रूप में की थी, लेकिन उनकी ऊंचाई और फुर्ती को देखते हुए स्पोर्ट्स हॉस्टल के कोच ने उन्हें गोलकीपर बनने की सलाह दी। शुरुआत में यह बदलाव मुश्किल लगा, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने इसे स्वीकार किया और गोलकीपिंग में खुद को साबित किया।
माधुरी ने कहा, गोलकीपर होने के नाते, मुझे पूरे मैदान का स्पष्ट दृश्य मिलता है। मैंने सीखा कि टीम को कैसे नियंत्रित करना है, दबाव में कैसे मोटिवेट करना है और कठिन परिस्थितियों में संयम कैसे बनाए रखना है।
जूनियर टीम के साथ खेलते हुए माधुरी ने कई यादगार प्रदर्शन किए। 2023 जूनियर एशिया कप में भारत को गोल्ड मेडल जिताने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने गर्व से बताया, उस जीत के बाद मेरे गांव के लोग, यहां तक कि सरपंच भी, मेरे घर बधाई देने आए। तब मुझे एहसास हुआ कि मैं अपने परिवार और गांव का नाम रोशन कर सकती हूं।
उनकी इस उपलब्धि से उनके भाई मनोज सबसे ज्यादा खुश थे। माधुरी ने याद करते हुए कहा, जब हमने एशिया कप जीता, तो भाई ने तुरंत मैसेज कर कहा कि उसे मुझ पर गर्व है और मेरी सफलता उसकी अपनी सफलता जैसी है।
2023 एफआईएच जूनियर महिला विश्व कप में माधुरी ने न्यूजीलैंड के खिलाफ पेनल्टी शूटआउट में लगातार चार शानदार सेव कर टीम को जीत दिलाई। उन्होंने कहा, उस पल ने मुझे खुद पर भरोसा करना सिखाया। यह एहसास कि मैं अपनी टीम के लिए संकट के समय खड़ी हो सकती हूं, मुझे हमेशा याद रहेगा।
रोल मॉडल और भविष्य की योजनाएं
ओडिशा के लिए कई राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में खेल चुकीं माधुरी भारतीय महिला हॉकी टीम की दिग्गज गोलकीपर सविता को अपना आदर्श मानती हैं। माधुरी ने बताया, सविता दी मेरी प्रेरणा हैं। जूनियर कैंप के दौरान मैं हमेशा उनकी गेम रेकॉर्डिंग देखती थी—उनके सेव, उनकी लीडरशिप, उनकी मानसिक दृढ़ता। अब जब मैं उनके साथ ट्रेनिंग करती हूं, तो उनसे बहुत कुछ सीख रही हूं।
उनका अल्पकालिक लक्ष्य भारतीय सीनियर टीम में पदार्पण करना है, लेकिन उनकी बड़ी महत्वाकांक्षा इससे कहीं आगे है। उन्होंने कहा, मेरा सपना भारत के लिए ओलंपिक पदक जीतना है। मैं अपने माता-पिता और भाई को वह पहचान दिलाना चाहती हूं, जिसके वे हकदार हैं। उन्होंने मुझे सब कुछ दिया है, अब मेरी बारी है उन्हें कुछ लौटाने की।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील दुबे