मुख्यमंत्री रेवंत ने परिसीमन के विरोध में तेलंगाना विधानसभा में पेश किया प्रस्ताव

-तेलुगु भाषाई राज्यों से राजनीतिक लाभ न मिलने के कारण केंद्र ने विधानसभा सीटें नहीं बढ़ाईं : रेड्डी
हैदराबाद, 27 मार्च (हि.स.)। तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने गुरुवार को तेलंगाना विधानसभा में प्रस्तावित परिसीमन के विरोध में प्रस्ताव पेश किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जिन राज्यों की जनसंख्या नियंत्रित है, वहां परिसीमन नहीं होना चाहिए। वर्तमान में निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या को जारी रखा जाना चाहिए। तेलंगाना राज्य में विधानसभा क्षेत्रों को बढ़ाकर 153 किया जाना चाहिए। एससी और एसटी सीटों को भी वर्तमान जनसंख्या के अनुसार बढ़ाया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री रेड्डी ने बताया कि दक्षिणी भारत के राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण पर केंद्र के निर्देशों का पालन किया है। उत्तरी भारत के राज्यों में जनसंख्या पर नियंत्रण नहीं हुआ और वर्तमान में जनसंख्या के आधार पर परिसीमन किया जाता है तो इससे दक्षिण भारत को नुकसान होगा, यह उचित नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि
तेलुगु भाषाई राज्यों से राजनीतिक लाभ न मिलने के कारण केंद्र ने विधानसभा सीटें नहीं बढ़ाई हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 1971 में एक संवैधानिक संशोधन द्वारा परिसीमन को 25 वर्षों के लिए निलंबित कर दिया गया था। परिसीमन पर भ्रम की स्थिति है। हाल ही में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने परिसीमन पर एक बैठक आयोजित की थी। इसमें यह निर्णय लिया गया कि जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन स्वीकार नहीं किया जाएगा। मुख्य रूप से रेवंत रेड्डी ने याद दिलाया कि पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने जनसंख्या के आधार पर परिसीमन का भी विरोध किया था।
उन्होंने कहा कि केंद्र के कुछ नेताओं का कहना है कि केंद्र ने अभी तक परिसीमन पर फैसला नहीं लिया है। वर्तमान में दक्षिणी राज्यों का फिलहाल लोकसभा में 24 फीसदी प्रतिनिधित्व है। अगर परिसीमन हुआ तो इसके घटकर 19 फीसदी पर पहुंचने का अनुमान है। उन्होंने राज्य विधानसभा में सभी राजनीतिक दलों से अपील की है कि परिसीमन के विरोध सभी को एकमत होना चाहिए। सरकार के प्रस्ताव का सभी दलों को समर्थन करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि तेलंगाना राज्य पुनर्गठन के अधिनियम के तहत आंध्र और तेलंगाना में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों को बढ़ाया जाना है लेकिप अभी तक विधानसभा क्षेत्र नहीं बढ़ाये गये हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार सिक्किम और जम्मू कश्मीर के निर्वाचन क्षेत्रों में वृद्धि की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक लाभ न मिलने के कारण तेलुगु राज्यों की विधानसभा सीटें नहीं बढ़ाई गई हैं।
मुख्यमंत्री रेड्डी ने कहा कि 24 प्रतिशत प्रतिनिधित्व वाले दक्षिणी राज्य केंद्र को 36 प्रतिशत कर का भुगतान करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र से दक्षिणी राज्यों को बहुत ही कम का बजट में आवंटन किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ''उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश की केंद्रीय करों में बड़ी हिस्सेदारी है।''
भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल के डिप्टी फ्लोर लीडर पायल शंकर ने इस प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया व्यक्त दी है। उन्होंने कहा, विधानसभा में मुख्यमंत्री ने निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के विरोध में एक प्रस्ताव पेश किया है...हमे इस पर चर्चा करने का अवसर नहीं दे रहे हैं...कांग्रेस और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) कह रही हैं कि वे परिसीमन पर एक साथ लड़ाई लड़ेंगे...अब नई बात क्या है...? कांग्रेस और बीआरएस एक बार फिर भाजापा और केंद्र सरकार के विरोध में एक साथ आ गए हैं।
डिप्टी फ्लोर लीडर पायल ने कहा कि दोनों पार्टियां पिछले दिनों चेन्नई गईं और स्टालिन के आह्वान पर एक मंच पर दिखाई दिए। उन्होंने कहा कि अगले कुछ दिनों में तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं तो स्टालिन ने परिसीमन पर चर्चा शुरू कर दी और इसे बेमतलब का मुद्दा बनाया। उन्होंने कहा कि हमारे राज्य में बहुत सारी समस्याएं हैं उन्हें सुलझाने के बजाय वे स्टालिन की पीठ खुजलाने के लिए दोनों दल चेन्नई चले गए।
पायल ने मुख्यमंत्री से पूछा कि क्या बिना किसी को जानकारी दिए परिसीमन किया जा सकता है? वे केवल दुष्प्रचार कर रहे हैं कि परिसीमन से नुकसान होने वाला है...वे मोदी के खिलाफ जहर घोलने की कोशिश कर रहे हैं...।
उन्होंने कहा कि देश के सभी हिस्से भाजपा के लिए समान हैं...। देश के सभी हिस्सों के लोग हमारे लिए समान हैं...। केंद्रीय मंत्री खुलेआम कह रहे हैं कि कहीं भी कोई नुकसान नहीं होगा फिर भी कांग्रेस और बीआरएस गलत और बेबुनियाद दुष्प्रचार में जुटे हुए हैं। उन्होंने बताया कि बीआरएस की सरकार बिना विचार विमर्श के राज्य के जिलों को बांटने की बात भूल गई है...। भाजपा के बाकी विधायकों ने भी इस प्रस्ताव का विरोध किया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / नागराज राव