प्रख्यात ओडिया कवि रमाकांत रथ का निधन, साहित्य अकादमी ने जताया शोक

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प्रख्यात ओडिया कवि रमाकांत रथ का निधन, साहित्य अकादमी ने जताया शोक


- ओडिशा के मुख्यमंत्री ने रथ के निधन पर गहरा दुख जताया

नई दिल्ली, 16 मार्च (हि.स.)। पद्म भूषण से अलंकृत प्रख्यात ओडिया कवि और साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष रमाकांत रथ का रविवार सुबह निधन हो गया। उन्होंने भुवनेश्वर स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। वे 91 वर्ष के थे। साहित्य में अपने योगदान के अलावा रथ ने ओडिशा राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने विभिन्न विभागों में सचिव और ओडिशा के मुख्य सचिव के रूप में कार्य किया।

ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने रमाकांत रथ के निधन पर गहरा दुख जताया है। मुख्यमंत्री ने उन्हें भारतीय साहित्य का एक महान कवि बताते हुए उनके योगदान को याद किया। मांझी ने एक्स पोस्ट पर अपने शोक संदेश में कहा कि पद्म भूषण से सम्मानित पूर्व नौकरशाह और साहित्यकार रमाकांत रथ के निधन के बारे में जानकर दुख हुआ। उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा के साथ-साथ साहित्य की दुनिया में उनके योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा। उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ होगा। मैं भगवान जगन्नाथ से दिवंगत आत्मा की चिर शांति के लिए प्रार्थना करता हूं और शोक संतप्त परिवार के सदस्यों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।

रथ का अंतिम संस्कार सोमवार को पुरी स्थित श्मशानघाट स्वर्गद्वार पर होगा

साहित्य अकादमी ने अपने महत्तर सदस्य, पूर्व अध्यक्ष एवं ओडिया के प्रख्यात कवि रथ के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव ने अपने शोक संदेश में कहा कि

यह जानकर दुख हुआ कि प्रतिष्ठित ओडिया कवि एवं विद्वान रमाकांत रथ अब हमारे बीच नहीं रहे। उनकी कविताओं ने अनगिनत पाठकों को गहराई से आत्मनिरीक्षण करने, जीवन, मृत्यु और भौतिक दुनिया से परे के जीवन अस्तित्व के बारे में जानने के साथ ही उन्हें अपनी सांस्कृतिक जड़ों को फिर से खोजने में सक्षम बनाया। श्री राधा और सप्तम ऋतु जैसी उनकी प्रसिद्ध रचनाएं हमेशा हमारे साथ रहेंगी और पाठकों को आत्म-खोज की उनकी यात्रा में मदद करती रहेंगी। रथ का अंतिम संस्कार सोमवार को राजकीय सम्मान के साथ पुरी स्थित श्मशानघाट स्वर्गद्वार पर किया जाएगा।

रमाकांत रथ ओडिया कविता में विशिष्ट स्थान रखते थे, जो अपने आधुनिकतावादी और दार्शनिक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते थे। उनके प्रशंसित कविता संग्रहों में केते दिनारा (1962), संदिग्ध मृगया (1971), सप्तम ऋतु (1977), सचित्रा अंधारा (1982), श्री राधा (1985) और श्रेष्ठ कविता (1992) शामिल हैं। उनकी महान कृति, श्री राधा ने उन्हें 1992 में प्रतिष्ठित सरस्वती सम्मान दिलाया।

उनकी रचनाओं का अंग्रेजी और कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। कई साहित्यिक पुरस्कारों के प्राप्तकर्ता रथ को 1977 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1984 में सरला पुरस्कार, 1990 में बिशुवा सम्मान और 2009 में साहित्य अकादमी की महत्तर सदस्यता से सम्मानित किया गया।

साहित्य में उनके उत्कृष्ट योगदान के सम्मान में, उन्हें 2006 में भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

साहित्य अकादमी सोमवार को अपने सभी कार्यालयों में शोक सभा कर दोपहर के बाद उनके सम्मान में अपने सभी कार्यालय बंद रखेगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / पवन कुमार