किरेन रिजिजू ने मुस्लिम आरक्षण पर लोकसभा में कांग्रेस को घेरा

नई दिल्ली, 24 मार्च (हि.स.)। संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के मुस्लिम आरक्षण पर दिए बयान का मुद्दा सोमवार को लोकसभा में उठाया। उन्होंने नाम लिए बिना कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का धर्म के आधार पर आरक्षण और उसके लिए संविधान बदलने की बात कहना अस्वीकार्य है। यह संविधान निर्माताओं का अपमान है।
लोकसभा की कार्यवाही पहले विपक्षी सदस्यों के पोस्टर लेकर सदन में आने के कारण स्थगित हुई। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस बारे में विपक्षी सदस्यों को कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने संसदीय कार्यमंत्री रिजिजू को पोस्टर लहराने वालों के खिलाफ प्रस्ताव लाने की सलाह दी। हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही को 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। दोपहर 12 बजे दोबारा कार्यवाही शुरू होने पर संसदीय कार्यमंत्री ने लोकसभा में मुस्लिम आरक्षण पर विपक्ष खासकर कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने मांग की कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को तुरंत पद से हटाया जाना चाहिए। इसके बाद पीठासीन अधिकारी जगदंबिका पाल ने हंगामा बढ़ते देख कार्यवाही को 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
लोकसभा से बाहर आकर पत्रकारों से बातचीत में रिजिजू ने कहा कि संसद के दोनों सदनों- लोकसभा और राज्यसभा को एक बहुत ही गंभीर मुद्दे पर स्थगित करना पड़ा। एनडीए ने एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता के बयान को बहुत गंभीरता से लिया है। संवैधानिक पद संभाल रहे कांग्रेस नेता ने स्पष्ट रूप से कहा है कि मुसलमानों को सरकारी ठेकों में आरक्षण समुदाय को आरक्षण और अन्य सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में एक कदम है। इसके लिए देश के संविधान को बदला जाएगा।
रिजिजू ने कहा कि मुस्लिम प्रतिनिधित्व और आरक्षण के मुद्दे को 1947 में खारिज कर दिया गया था। देश का संविधान पंथनिरपेक्ष है। यह केवल आर्थिक और सामाजिक मानदंडों के आधार पर आरक्षण देने का पक्षधर है लेकिन धार्मिक पहचान के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा