नटरंग ने किया हिन्दी नाटक ‘उथल पुथल’ का मंचन

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जम्मू,, 16 मार्च (हि.स.)। नटरंग ने अपने साप्ताहिक रंगमंच श्रृंखला संडे थियेटर के अंतर्गत आज यहां नटरंग के स्टूडियो थियेटर कच्ची छावनी में एंटोन चेखव द्वारा लिखित और नीरज कांत द्वारा निर्देशित लघु कथा पर आधारित हिन्दी नाटक ‘उथल पुथल’ का मंचन किया। नाटक के कथानक में व्याप्त भावनात्मक पहलू को दर्शकों ने खूब सराहा। नाटक में दिखाया गया कि रिश्तों में विश्वास और सम्मान कितना जरूरी है।

नाटक की कहानी एक युवा लड़की ‘मालविका’ के इर्द-गिर्द घूमती है जो मिसेज माया के घर में पेइंग-गेस्ट के तौर पर रहती है। एक दिन वह कॉलेज से घर आती है और घर में उथल-पुथल देखती है। जब वह अपने कमरे में जाती है तो देखती है कि उसकी मालकिन अपना सामान खंगाल रही है। मिसेज माया जल्दी में चली जाती है और दूसरी नौकरानी मालविका को बताती है कि एक बहुत महंगा ब्रोच खो गया है और हमेशा संदिग्ध और घमंडी महिला मिसेज माया उसे खोजने के लिए हर किसी की तलाशी ले रही है।

उसे किसी की ईमानदारी की कोई परवाह नहीं है और उसकी नजर में सभी चोर हैं। ‘मालविका’ इस बात से बहुत परेशान है कि मकान मालकिन उसकी चीज़ों को देख रही है, और जाहिर तौर पर उसे चोर समझ रही है। फिर रात के खाने पर माया एक टिप्पणी करती है कि वह अपने घर में चोरों को कैसे बर्दाश्त नहीं करेगी। यह ‘मालविका’ को परेशान कर देता है, और वह जगह छोड़ने का फैसला करती है। जब वह सामान पैक कर रही होती है तो घर का मालिक और माया का पति ‘निखिल’ उसके कमरे में आता है और उससे रहने के लिए विनती करता है। फिर वह बताता है कि वास्तव में उसने ब्रोच चुराया था क्योंकि उसके पास पैसे की कमी थी और उसकी दबंग पत्नी ने सारी संपत्ति अपने साथ ले ली है और उसे अपने ही घर में भिखारी बना दिया है।

यह मालविका को और भी परेशान करता है जो घर छोड़ने के अपने फैसले पर कायम रहती है क्योंकि ऐसी जगह पर रहने में कोई गरिमा नहीं है जहाँ आपकी ईमानदारी का कोई सम्मान नहीं है और एक ईमानदार व्यक्ति के लिए आत्मसम्मान और गरिमा से बढ़कर कुछ भी नहीं है।

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हिन्दुस्थान समाचार / अश्वनी गुप्ता