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कोलकाता के मैदान क्षेत्र में बढ़ता प्रदूषण काे लेकर पर्यावरणविद ने जताई चिंता

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कोलकाता के मैदान क्षेत्र में बढ़ता प्रदूषण काे लेकर पर्यावरणविद ने जताई चिंता


कोलकाता, 13 दिसंबर (हि.स.)। कोलकाता के ऐतिहासिक विक्टोरिया मेमोरियल और पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील मैदान क्षेत्र में वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ने पर पर्यावरणविद सोमेंद्र मोहन घोष ने गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और पश्चिम बंगाल पर्यावरण विभाग को पत्र लिखकर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।

पर्यावरणविद ने अपने पत्र में कहा है कि मैदान, जिसे कोलकाता का फेफड़ा माना जाता है, इस समय गंभीर वायु प्रदूषण की चपेट में है। विक्टोरिया मेमोरियल के आसपास चल रहे मेट्रो रेल प्रोजेक्ट ने हालात को और बिगाड़ दिया है। हाल के दिनों में यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 342 तक पहुंच गया, जो ‘बहुत खराब’ से ‘खतरनाक’ श्रेणी में आता है। उनका दावा है कि कुछ मौकों पर मैदान क्षेत्र की हवा की स्थिति दिल्ली से भी ज्यादा खराब दर्ज की गई।

सोमेंद्र मोहन घोष के अनुसार, प्रदूषण बढ़ने के पीछे कई कारण हैं। मैदान और आसपास के इलाकों में बायोमास जलाना, मेट्रो निर्माण कार्य के दौरान पर्यावरणीय नियमों की अनदेखी, बढ़ता वाहन प्रदूषण और एस्प्लेनेड बस स्टैंड के पास सड़क किनारे दुकानों में कोयला व लकड़ी का इस्तेमाल प्रमुख वजहें हैं। इसके अलावा निर्माण स्थलों से उड़ने वाली धूल और खुले ट्रकों से मिट्टी ढोने से हवा में सूक्ष्म कणों की मात्रा तेजी से बढ़ रही है।

उन्होंने सुझाव दिया है कि विक्टोरिया मेमोरियल के आसपास नियमित रूप से पानी का छिड़काव किया जाए, ताकि धूल को नियंत्रित किया जा सके। साथ ही मेट्रो निर्माण में पर्यावरण के अनुकूल तरीकों को अपनाने और विक्टोरिया के पास मां फ्लाईओवर पर पुराने डीजल वाहनों की आवाजाही सीमित करने की जरूरत बताई गई है। उनका कहना है कि अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो यह स्थिति जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकती है।

शुक्रवार रात भी कोलकाता के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 के ऊपर बना रहा। रात 10 बजे विक्टोरिया मेमोरियल क्षेत्र में सूचकांक 355 दर्ज किया गया, जबकि जादवपुर इलाके में यह 311 रहा। दिन के समय बालीगंज और फोर्ट विलियम क्षेत्रों में भी सूचकांक 300 के पार पहुंच गया। 11 दिसंबर को सूचकांक 385 और 12 दिसंबर रात को 378 तक दर्ज किया गया था।

पर्यावरणविद ने बताया कि निर्माण कार्यों से निकलने वाले सूक्ष्म कण, जिन्हें पीएम कहा जाता है, श्वसन तंत्र के लिए बेहद खतरनाक हैं। डॉक्टरों के अनुसार, इन कणों के बढ़ने से फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों और कैंसर का खतरा भी बढ़ता है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर हालात पर तुरंत नियंत्रण नहीं किया गया तो कोलकाता में वायु प्रदूषण एक बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का रूप ले सकता है। ------------------

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर