राष्ट्रीय एकता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है युवा संगम : यू पी सिंह
हरिद्वार, 30 नवम्बर(हि. स.)। आईआईटी रुड़की में एक भारत, श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के तहत शिक्षा मंत्रालय की पहल पर युवा संगम के पांचवें संस्करण का उद्घाटन हुआ। यह राष्ट्रव्यापी पहल भारत के युवाओं में अंतर-सांस्कृतिक आदान-प्रदान, नेतृत्व और राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए की गई है। युवा संगम- 5 में झारखंड के 45 छात्र प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
मुख्य अतिथि प्रो. यू.पी. सिंह द्वारा दीप प्रज्ज्वलन और आईआईटी रुड़की के कुलगीत से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। युवा संगम-5 के नोडल अधिकारी प्रो. एम.वी. सुनील कृष्ण ने कार्यक्रम के उद्देश्यों और नियोजित गतिविधियों पर व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत की। कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए छात्र कल्याण कुलशासक प्रो. बार्जीव त्यागी ने कहा कि युवा संगम युवाओं के लिए एकता के बंधन को मजबूत करते हुए भारत की सांस्कृतिक विविधता का अनुभव करने और उसकी सराहना करने का एक उल्लेखनीय अवसर है। इस तरह की पहल आपसी सम्मान उत्पन्न करती है और छात्रों को राष्ट्र की प्रगति के लिए सामूहिक रूप से कार्य करने के लिए प्रेरित करती है।
मुख्य अतिथि प्रो. यू.पी. सिंह ने इस तरह की पहल की अगुआई करने के लिए शिक्षा मंत्रालय की सराहना की। उन्होंने कहा कि युवा संगम एक भारत श्रेष्ठ भारत के सच्चे सार को दर्शाता है। राज्यों के युवाओं को जोड़ने से सहयोग, नवाचार और हमारे देश की सांस्कृतिक समृद्धि के प्रति गहरी समझ विकसित होती है। प्रतिभागी हरिद्वार, ऋषिकेश, कोटद्वार, लैंसडाउन और देहरादून जैसे स्थलों की यात्रा के माध्यम से उत्तराखंड की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत का पता लगाएंगे। महिला स्वयं सहायता समूहों के साथ बातचीत करने के लिए स्थानीय गांव का दौरा करने से छात्रों को जमीनी स्तर पर विकास एवं ग्रामीण आजीविका के बारे में बहुमूल्य जानकारी मिलेगी। इसके अतिरिक्त, झारखंड का प्रतिनिधिमंडल अपने राज्य की समृद्ध परंपराओं को उजागर करते हुए जीवंत सांस्कृतिक प्रदर्शन प्रस्तुत करेगा। उद्घाटन का समापन धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। इस दौरान सभी प्रतिभागियों को भारत की विविधता में एकता को अपनाने और उसका उत्सव मनाने के लिए प्रेरित किया। कहा कि युवा संगम-वी कार्यक्रम प्रतिभागियों के लिए समृद्ध यात्रा प्रदान करता है, जिसकी शुरुआत भगवानपुर और सिडकुल के औद्योगिक दौरे से होती है। इसके बाद हरिद्वार और ऋषिकेश में सांस्कृतिक अन्वेषण होता है। स्थानीय गांव का दौरा जमीनी स्तर पर विकास एवं महिला स्वयं सहायता समूहों के साथ बातचीत के बारे में जानकारी प्रदान करेगा। यात्रा कार्यक्रम में लैंसडाउन, कोटद्वार और देहरादून जैसे प्रतिष्ठित स्थानों की यात्राएँ भी शामिल हैं, जिसमें सिद्धबली मंदिर, तारकेश्वर धाम मंदिर आदि स्थल शामिल हैं। प्रत्येक गतिविधि सांस्कृतिक, शैक्षिक और नेतृत्व के अनुभवों को जोड़ती है, जो उत्तराखंड की विरासत की गहरी समझ को बढ़ावा देती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला