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दुष्कर्म पीड़िताओं का बयान महिला अधिकारी के समक्ष, जांच दो माह में अनिवार्य : डॉ. अर्चना मजूमदार

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दुष्कर्म पीड़िताओं का बयान महिला अधिकारी के समक्ष, जांच दो माह में अनिवार्य : डॉ. अर्चना मजूमदार


कानपुर, 11 दिसम्बर (हि.स.)। दुष्कर्म पीड़िता का बयान अब महिला पुलिस अधिकारी द्वारा ही अभिभावक या रिश्तेदार की उपस्थिति में दर्ज किया जाएगा। पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट सात दिन के भीतर उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया गया है। महिलाओं और बच्चों से सम्बंधित अपराधों की जांच दो महीने के भीतर पूरी करना अनिवार्य किया गया है, साथ ही पीड़ितों को 90 दिनों के भीतर अपने प्रकरण की प्रगति की जानकारी प्राप्त करने का अधिकार दिया जाए। यह निर्देश गुरुवार को राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य डॉ. अर्चना मजूमदार ने दिए।

आज सर्किट हाउस सभागार में महिला जनसुनवाई कार्यक्रम आयोजित किया गया। जनसुनवाई में कुल 68 प्रकरण प्राप्त हुए। सभी प्रकरणों को गंभीरता और संवेदनशीलता के साथ सुना तथा त्वरित और प्रभावी कार्रवाई हेतु सम्बंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि प्रत्येक प्रकरण का निस्तारण समयबद्ध रूप से सुनिश्चित किया जाए, ताकि पीड़ित महिलाएं शीघ्र राहत प्राप्त कर सकें।

कार्यक्रम के दौरान मा. सदस्य, राष्ट्रीय महिला आयोग ने उपस्थित महिलाओं को नए लागू हुए कानूनों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एक जुलाई 2024 से पूरे देश में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023 प्रभावी हो गए हैं। जिन्होंने पुरानी आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है। नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए कई सशक्त प्रावधान किए गए हैं।

नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों को अलग अध्याय में सम्मिलित किया गया है तथा बच्चों की खरीद-फरोख्त को जघन्य अपराध घोषित किया गया है। नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के मामलों में मृत्युदंड या आजीवन कारावास का प्रावधान जोड़ा गया है। शादी का झूठा वादा करने, नाबालिग से दुष्कर्म, भीड़ द्वारा हत्या, झपटमारी जैसी घटनाओं से निपटने के लिए भी अब स्पष्ट कानूनी प्रावधान उपलब्ध हैं, जो पहले आईपीसी में नहीं थे।

नए कानूनों के अनुसार पीड़ित महिलाओं और बच्चों को सभी अस्पतालों में नि:शुल्क प्राथमिक उपचार प्राप्त होगा। इसके अतिरिक्त महिलाओं, 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों, 60 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगजन एवं गम्भीर बीमारी से पीड़ित लोगों को थाने आने से छूट प्रदान की गई है और उनके निवास स्थान पर ही पुलिस सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।

उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 43(5) के अनुसार सामान्य परिस्थितियों में सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले किसी महिला को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। यदि कोई असाधारण परिस्थिति हो, तो इसके लिए मजिस्ट्रेट से लिखित अनुमति लेना अनिवार्य है।

महिलाओं की सुरक्षा, सहायता एवं त्वरित मदद के लिए उन्होंने विभिन्न हेल्पलाइन नंबर भी साझा किए, जिनमें महिला हेल्पलाइन 181, साइबर हेल्पलाइन 1930, चाइल्ड हेल्पलाइन 1098, पुलिस आपातकालीन सेवा 112, घरेलू हिंसा व उत्पीड़न हेल्पलाइन 1091 एवं राष्ट्रीय महिला आयोग की 24×7 हेल्पलाइन 7827170170 शामिल है। इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी (न्यायिक) डॉ. चन्द्रशेखर, अपर पुलिस उपायुक्त डॉ. अर्चना सिंह, जिला प्रोबेशन अधिकारी विकास सिंह सहित संबंधित विभागों के अधिकारीगण, विभिन्न थानों के थानाध्यक्ष एवं चौकी प्रभारी उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / रोहित कश्यप