अयोध्या की महिलाओं को नई उड़ान दे रहा दीन दयाल अंत्योदय योजना का सखी मॉडल
योगी सरकार की योजनाओं से बदला अयोध्या की महिलाओं का भविष्य
तीन हजार से अधिक एसएचजी समूहों से जुड़कर आत्मनिर्भर बनी ग्रामीण महिलाएं
अयोध्या, 8 दिसंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा संचालित दीन दयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने अयोध्या जिले की हजारों महिलाओं की जिंदगी को नई दिशा दी है। जिले में अब तक तीन हजार से अधिक स्वयं सहायता समूह गठित हो चुके हैं, जिनसे जुड़कर ग्रामीण महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर बनी हैं, बल्कि घर-परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी भी बखूबी निभा रही हैं।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की जिला मिशन प्रबंधक सरिता वर्मा ने बताया कि पहले जहां ये महिलाएं चूल्हा-चौका और घर-गृहस्थी तक ही सीमित रहती थीं, वहीं आज वे समूह की बैठकों में हिस्सा लेती हैं, बैंक खाते संचालित करती हैं, छोटे-छोटे व्यवसाय चला रही हैं और अपने फैसले खुद ले रही हैं। मुद्रा लोन, कम्युनिटी इन्वेस्टमेंट फंड और रिवॉल्विंग फंड जैसी योजनाओं का लाभ लेकर ये महिलाएं कुटीर उद्योग, पशुपालन, किराना दुकान, सिलाई केंद्र, अगरबत्ती निर्माण जैसे अनेक कार्य कर रही हैं।
महिलाओं को बड़े बाजार व नई तकनीक से भी जोड़ रहीं
योगी सरकार की विशेष पहल पर अयोध्या जिला अब प्रदेश में सबसे अधिक सक्रिय समूहों वाला जनपद बन चुका है। यहां सबसे ज्यादा महिलाएं “सखी” (समूह की सक्रिय सदस्य) के रूप में जुड़ी हैं। सरकार द्वारा समूहों को 15 हजार से 2.50 लाख तक का कम्युनिटी इन्वेस्टमेंट फंड, बैंक लिंकेज और प्रशिक्षण निरंतर उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके अलावा स्टार्टअप विलेज एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम और सरस आजीविका मेला जैसी योजनाएं भी इन महिलाओं को बड़ा बाजार और नई तकनीक से जोड़ रही हैं।
रुदौली, मवई, सोहावल और बीकापुर जैसे ब्लॉकों में तो सैकड़ों समूह ऐसे हैं जिनकी महिलाएं अब लाखों रुपए का सालाना कारोबार कर रही हैं। एक समूह की औसत मासिक बचत 15-20 हजार तक पहुंच चुकी है। कई समूह तो अब क्लस्टर और प्रोड्यूसर कंपनी के रूप में भी पंजीकृत हो चुके हैं।
दीन दयाल अंत्योदय योजना से सशक्त हुईं अयोध्या की महिलाएं, सामाजिक बदलाव की बनीं अग्रदूत
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप यह योजना केवल आर्थिक सशक्तीकरण तक सीमित नहीं है। समूह की महिलाएं गांव की समस्याओं को प्रशासन तक पहुंचा रही हैं और स्वच्छता, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे सामाजिक मुद्दों पर भी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। योगी सरकार की इस दूरदर्शी नीति का ही नतीजा है कि आज अयोध्या की वो माताएं-बहनें जो कभी घर की चारदीवारी तक सिमटकर रह गई थीं, अब आत्मविश्वास के साथ कहती हैं -हमारा भाग्य अब हमारे हाथ में है। दीन दयाल अंत्योदय योजना ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति बदली है, बल्कि उन्हें नया सम्मान और नई पहचान भी दी है।
15 से 20 हजार रुपये की आए
मिल्कीपुर के शाहगंज की पूनम पांडे एक विद्युत सखी है। वह 2021 में इस योजना से जुड़ी। उन्होंने बताया कि वह विद्युत विभाग के कैंपों में भी जाती हैं। क्षेत्रीय कार्यालय में भी बैठती है। शुरुआत के दिनों में थोड़ी तकलीफ हुई, लेकिन अब उपभोक्ता आते हैं उनको हम बिल बिल जमा करने के लिए कहते हैं या फिर जमा करवाते हैं कई बार उपभोक्ता लापरवाही कर जाते हैं और उनका विद्युत कनेक्शन कट जाता है। बिजली का बिल जमा करवाने पर हमें उसका कमीशन मिलता है। 15 से 20 हजार रुपये की आय हो जाती है। पूनम ने बताया कि उनके पति बाहर रहकर नौकरी करते हैं। पहले पारिवारिक स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन विद्युत सखी बनने के बाद से हमारी जिंदगी संवर गई। हमारे दो बच्चों की पढ़ाई लिखाई में भी मदद मिल रही है। योगी सरकार की यह योजना साधारण नहीं है। बड़ी संख्या में महिलाएं जुड़ रही हैं।
योगी सरकार की योजना ने बदल दिया भाग्य
मिल्कीपुर के कुचेरा बाजार के मंझनाई गांव की ज्योति बैंक सखी है। 2023 में वह इस योजना से जुड़ी। ज्योति ने बताया कि वह तो हाउस वाइफ थी। उनसे एक समूह सखी की मुलाकात हुई। हमें बैंक सखी से जोड़ा। इसके बाद जीवन ज्योति के नाम से ही हमने अपना 12 महिलाओं का समूह बनाया। आज समूह में सभी महिलाएं आत्मनिर्भर है। उन्हें एक अच्छी आय हो रही है। घर पर बैठने की बजाय हर मां 8 से 9 हजार की आय हो जा रही है। उनका कार्य सिर्फ इतना है महिलाओं को जागरूक करें और उन्हें सीसीएल दिलवाएं, ताकि महिलाएं कोई रोजगार कर सके। इसके बाद महिलाओं से सीसीएल की राशि बैंक में जमा करते हैं। इसी कार्य को करने के लिए हमें मानदेय मिल जाता है। मसौधा में ट्रेनिंग करने के बाद ही हम इस योजना से जुड़े थे। योगी सरकार की यह योजना हमारे भाग्य बदल रही है।
योगी सरकार की दीन दयाल अंत्योदय योजना ने अयोध्या की महिलाओं के जीवन में आर्थिक, सामाजिक और व्यक्तिगत तीनों स्तरों पर सकारात्मक बदलाव लाया है। जो महिलाएं कभी घर तक सीमित थीं, आज रोजगार, उद्यमिता, नेतृत्व और सामाजिक परिवर्तन की मिसाल बन चुकी हैं।
जानिए, कितनी सखियों का है समूह
मद का नाम - संख्या
समूह सखी - 943
बीसी सखी - 545
विद्युत सखी- 239
आई.सी.आर.पी - 215
बैंक सखी है - 98
आजीविका सखी - 740
स्वास्थ्य सखी - 370
सूक्ष्म उद्यम सखी - 176
सीनियर आई.सी.आर.पी. - 40
सीएलएफ बुक कीपर - 44
-------------
हिन्दुस्थान समाचार / पवन पाण्डेय

