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काशी तमिल संगमम 4.0: सांस्कृतिक संध्या में कलाकारों की प्रस्तुतियां बनीं यादगार

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काशी तमिल संगमम 4.0: सांस्कृतिक संध्या में कलाकारों की प्रस्तुतियां बनीं यादगार


काशी तमिल संगमम 4.0: सांस्कृतिक संध्या में कलाकारों की प्रस्तुतियां बनीं यादगार


—तमिलनाडु के लोकनृत्य ने दर्शकों का मन मोहा

वाराणसी, 15 दिसंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में चल रहे काशी तमिल संगमम 4.0 के तहत सोमवार की शाम गंगा तट स्थित नमो घाट पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या दर्शकों के लिए अविस्मरणीय बन गई। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज एवं दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, तंजावूर (संस्कृति मंत्रालय) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में तमिलनाडु और काशी के कलाकारों ने अपनी सशक्त प्रस्तुतियों से समां बांध दिया।

कार्यक्रम की शुरुआत वाराणसी के डॉ. रामशंकर एवं दल द्वारा प्रस्तुत भजन गायन से हुई। उन्होंने “गंगा तोरे नियरे बसत नीक लागे…” से गायन का शुभारंभ किया, जबकि “ओ साईं जग बौराना मोरा रे…” से प्रस्तुति का समापन किया। तबले पर आनंद मिश्रा, हारमोनियम पर कृष्ण कुमार तिवारी, बांसुरी पर प्रत्यूष मेहता तथा सहगायन में ईशान घोष, प्रवण शंकर और सौरभ कश्यप ने संगत कर प्रस्तुति को प्रभावशाली बनाया। दूसरी प्रस्तुति वाराणसी की सोनी सेठ एवं दल द्वारा प्रस्तुत कथक नृत्य की रही।

इस दौरान तबले पर उदय शंकर मिश्र, हारमोनियम एवं गायन में आनंद किशोर मिश्रा, सारंगी पर ओम सहाय तथा नृत्य में अर्पिता अग्रहरि ने संगत की।तीसरी प्रस्तुति तमिलनाडु के आर. सतीश एवं दल द्वारा प्रस्तुत ओइलियट्टम एवं करगम लोकनृत्य की रही, जिसने दर्शकों को दक्षिण भारतीय लोकसंस्कृति से रूबरू कराया। चौथी प्रस्तुति वाराणसी के विशाल सिंह एवं दल की लोकनृत्य प्रस्तुति रही, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति में एक बार फिर तमिलनाडु के आर. सतीश एवं दल ने अपने लोकनृत्य से समापन को यादगार बना दिया। पूरे सांस्कृतिक कार्यक्रम का संचालन अंजना झा ने किया। काशी तमिल संगमम 4.0 की यह सांस्कृतिक संध्या उत्तर और दक्षिण भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के सुंदर संगम के रूप में दर्शकों के मन में लंबे समय तक स्मरणीय रहेगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी