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साहित्य अकादमी व चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार

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साहित्य अकादमी व चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार


उन्नाव, 04 दिसंबर (हि.स.)। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन कार्यरत भारत की प्रमुख साहित्यिक संस्था, साहित्य अकादमी और चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, यूपी के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ किया गया। जिसमें “स्टोरीटेलिंग इन इंग्लिश एंड ट्रांसलेशन्स: विज़न्स, रिविज़न्स एंड इनोवेशन्स” विषय पर गहन विचार-मंथन, रचनात्मक दृष्टिकोणों का आदान–प्रदान और समकालीन साहित्यिक प्रवृत्तियों पर सार्थक चर्चा हुई।

इस दो दिवसीय सेमिनार का मुख्य उद्देश्य कहानी कहने की बदलती शैली, अनुवाद की नई दिशाओं और साहित्यिक अभिव्यक्ति में उभरते प्रयोगों पर चर्चा करना है। इस अवसर पर 21वीं सदी के लेखन पर इंग्लिश और ट्रांसलेशन के प्रभाव पर भी मंथन हुआ।

कार्यक्रम में देशभर के विद्वान, शिक्षाविद, शोधकर्ता, लेखक शामिल हुए। उद्घाटन सत्र में गुरुवार काे वक्ताओं ने कहा कि कहानी कहना सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि एक ऐसी विधा है जो हमारी सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ाती है, विभिन्न भाषाओं को जोड़ती है और नई सोच को प्रोत्साहित करती है।

शुरुआती चर्चाओं में विशेषज्ञों ने बताया कि बदलते समय में भी कहानियाँ समाज को समझने, अनुभवों को साझा करने और नई पीढ़ी तक भावनाओं–विचारों को पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनी हुई हैं। सेमिनार में कुल चार थीम आधारित सत्र रखे गए हैं। इनमें आधुनिक समय की कहानियों के नए रूप, समकालीन पाठकों के लिए बनाए जा रहे पुनर्कथन, साहित्य में उभर रही नई रचनात्मक तकनीकें और पौराणिक कथाओं के आधुनिक काव्य रूप जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। शोध–पत्र प्रस्तुति, कविता पाठ और संवाद सत्र भी कार्यक्रम का हिस्सा हैं, जिनमें परंपरा और आधुनिकता के बीच नए संबंधों को समझने की कोशिश की जाएगी।

प्रो. डॉ टीपी सिंह प्रो वीसी, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, उत्तर प्रदेश साहित्य अकादमी और चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, यूपी द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित यह दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार हमारे लिए गौरव का विषय है। स्टोरीटेलिंग इन इंग्लिश एंड ट्रांसलेशन्स जैसे समकालीन और महत्त्वपूर्ण विषय पर देशभर के विद्वानों, शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं का एक साथ आना न केवल साहित्यिक संवाद को समृद्ध करता है, बल्कि विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के बीच नई समझ और नए पुल भी बनाता है। हमें विश्वास है कि यह सेमिनार परंपरा और आधुनिकता के बीच सार्थक संवाद को आगे बढ़ाएगा और साहित्य की बदलती दुनिया में नई दृष्टि प्रदान करेगा।

हिन्दुस्थान समाचार / रोहित कश्यप