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स्वामी विवेकानंद व मालवीय जी के सपनों की संस्कृति को आगे बढ़ा रहा संघ

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स्वामी विवेकानंद व मालवीय जी के सपनों की संस्कृति को आगे बढ़ा रहा संघ
स्वामी विवेकानंद व मालवीय जी के सपनों की संस्कृति को आगे बढ़ा रहा संघ


स्वामी विवेकानंद व मालवीय जी के सपनों की संस्कृति को आगे बढ़ा रहा संघ


स्वामी विवेकानंद व मालवीय जी के सपनों की संस्कृति को आगे बढ़ा रहा संघ


स्वामी विवेकानंद व मालवीय जी के सपनों की संस्कृति को आगे बढ़ा रहा संघ


- अधिकारों को भूलकर कर्तव्यों को याद रखें नागरिक तभी भारत बनेगा विश्व गुरु

सीतापुर, 11 जून (हि.स.)। जनपद के आनंदी देवी सरस्वती विद्या मंदिर में चल रहे 15 दिवसीय संघ शिक्षा वर्ग सम्पन्न हो गया। अवध प्रान्त के 26 जनपदों (सरकारी जिला 13) से आये स्वयंसेवकों ने पिछले 15 दिनों तक वर्ग में ली शिक्षाओं का प्रदर्शन किया, तो विशाल मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। दंड प्रहार, नियुद्ध, शारीरिक व्यायाम का सामूहिक प्रदर्शन हुआ। घोष की धुन पर स्वयंसेवकों की कदमताल ने माहौल को भक्ति व राष्ट्रमय बना दिया। संघ गुरू भगवाध्वज के सामने सभी अतिथियों ने प्रणाम कर समापन समारोह का शुभारंभ किया।

मुख्य वक्ता के तौर पर पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक अनिल ने कहा कि भारतीय संस्कृति पर हावी होती पाश्चात्य सभ्यता को उसकी असली जगह पहुंचाने का काम संघ का स्वयंसेवक करता है। आज के युग में जब सुख सुविधाओं के लिए लोग अपनी मर्यादा को भी भूलते जा रहे हैं, ऐसे वक्त में संघ साधना के लिए निकले सैकड़ों स्वयंसेवकों ने पिछले पंद्रह दिनों तक कठिन तपस्या की है। एसी कमरों में सोने वाले स्वयं सेवक ज्येष्ठ माह की तपती धूप में राष्ट्र साधना के लिए तपे हैं। विद्यालय के बरामदे और मैदान में रात्रि गुजारने वाले संघ स्वयंसेवकों ने धैर्य, संयम, अनुशासन और संस्कार का वह पाठ सीखा है जिसे चाहते हुए भी वह परिवार के साथ नहीं सीख सकते थे। कठिन तपस्या कर देश सेवा को समर्पित होने जा रहे यह स्वयंसेवक डॉ. केशव राव बलिराम हेडगेवार के सपनों को साकार करेंगे।

क्षेत्र प्रचारक अनिल ने कहा कि लगभग 1 लाख 35 हजार लोग प्रत्येक वर्ष संघ का प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। विपरीत परिस्थितियों में संघ के वर्ग लगते हैं, लेकिन संघ ने कठिन साधना कर अपने उद्देश्यों से कभी समझौता नहीं किया। पिछले 98 वर्षों से संघ दैनिक शाखा पर दिये जाने वाले संस्कारों व देश भक्ति का भाव जगाने का काम कर रहा है।

क्षेत्र प्रचारक ने कहा कि हिंदू समाज में अन्य संगठन भी हुए, परंतु कुछ समय बाद वह विलुप्त हो गये। संघ आने वाली पीढ़ी का लगातार व्यक्ति निर्माण करता रहता है। उन्होंने कहा कि परम वैभव के संकल्प को लेकर 1925 से काम करने वाला संघ उपेक्षा व उपहास का भी शिकार रहा है। इन हालातों में उपहासों के बावजूद भी संघ आगे बढ़ता रहा। देश के विभाजन में संघ के स्वयंसेवकों ने हिन्दुओं को बचाने में अपना बलिदान दिया। गांधी की हत्या के बाद संघ पर दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से प्रतिबंध लगाया गया। तीन बार हुकूमतों के प्रतिबंध को पार करके संघ आज मजबूती के साथ दुनिया के मंच पर खड़ा है।

स्वामी विवेकानन्द व मालवीय के सपनों को आगे बढ़ा रहा संघ

क्षेत्र प्रचारक अनिल ने कहा कि स्वामी विवेकानंद व मदन मोहन मालवीय के सपने व संस्कृति को संघ आगे बढ़ाने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि आज प्रमुख तीर्थ स्थलों पर जाने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। देश के युवाओं में भारतीय संस्कृति व धार्मिक आस्था बढ़ी है। अब लोग गोवा जाने की बजाये धार्मिक स्थलों पर जाना पसंद करते हैं, यह संघ की साधना का प्रतिफल है। उन्होंने कहा कि अगर देश को आगे बढ़ाना है तो नागरिकों को अधिकारों को भूल कर कर्तव्यों को याद करना होगा, तभी भारत विश्व गुरु बन सकेगा। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता प्रेमवती नंदन बहुगुणा, उत्तराखंड मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉक्टर एम. एल. भट्ट ने की।

इस अवसर पर अवध प्रांत के संघचालक सरदार स्वर्ण सिंह, वर्गाधिकारी भुवनेश्वर, प्रान्त प्रचारक कौशल, सह प्रांत प्रचारक संजय, वर्ग कार्यवाह अंबिका, सीतापुर विभाग प्रचारक अभिषेक, जिला प्रचारक पंकज, सहित सैकड़ों की संख्या में संघ के पदाधिकारी व आम नागरिक मौजूद रहे।

ऐसे संचालित होकर सम्पन्न हुआ संघ का वर्ग

सीतापुर नगर के आनंदी देवी इंटर कॉलेज में संघ के इस प्रशिक्षण वर्ग की शुरुआत 26 मई से 11 जून सुबह तक होनी थी। 10 जून को समापन समारोह किया गया। वर्ग में संघ की दृष्टि से 26 जिलों के कुल 455 शिक्षार्थियों ने लगभग 432 शाखा स्थान से भाग लेकर प्रशिक्षण प्राप्त किया। इन शिक्षार्थियों को प्रशिक्षण देने के लिए 75 शिक्षकों सहित लगभग 200 लोग व्यवस्था से जुड़े रहें। वर्ग में प्रतिदिन दोनों पालियों में भोजन हेतु प्रत्येक परिवार से 20 रोटी का संग्रह किया गया। 4800 रोटियां प्रतिदिन के हिसाब से लगभग 71000 रोटियां 3600 परिवारों से संपर्क कर संग्रह की गई। शेष भोजन वर्ग में ही बनाया गया।

हिन्दुस्थान समाचार/महेश शर्मा/मोहित/राजेश