सृष्टि चक्र का रहस्य उजागर, आत्मशुद्धि से स्वर्ण युग की ओर बढ़ते कदम

- ‘अलविदा तनाव’ शिविर में महा विजय उत्सव का उल्लास
- आध्यात्मिक यज्ञ में नकारात्मकता का अंत, नवजीवन की नई दिशा
मीरजापुर, 28 मार्च (हि.स.)। महुवरिया स्थित जीआईसी ग्राउंड पर चल रहे 'अलविदा तनाव' शिविर के आठवें दिन 'महा विजय उत्सव' का भव्य आयोजन किया गया। इस मौके पर तनाव मुक्ति विशेषज्ञ ब्रह्माकुमारी पूनम दीदी ने सृष्टि चक्र के रहस्यों और आत्मशुद्धि के महत्व पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम की शुरुआत भक्तिमय गीत 'धन्यवाद प्रभु, धन्यवाद तेरा' से हुई। पूनम दीदी ने बताया कि समय एक चक्र के रूप में चलता है, जिसमें सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग आते हैं। सतयुग में आत्माएं पूर्ण रूप से पवित्र होती हैं और यह स्वर्ण युग कहलाता है, जहां लक्ष्मी-नारायण का राज्य होता है। त्रेतायुग में श्रीराम और सीता का आदर्श राज्य होता है, जबकि द्वापरयुग में विकारों का प्रवेश शुरू हो जाता है। कलयुग में भौतिकता हावी हो जाती है, और मानव चेतना का पतन होता है।
संगमयुग, जो कलियुग और सतयुग के बीच का संधिकाल है, में परम पिता शिव स्वयं ज्ञान प्रदान कर मानवता को स्वर्ण युग की ओर ले जाते हैं। पूनम दीदी ने बताया कि इस दिव्य ज्ञान और आत्मशुद्धि से ही व्यक्ति अपने वास्तविक स्वरूप को पहचान सकता है।
यज्ञ में बुराइयों की आहुति, शांति का संकल्प
शिविर के दौरान विशेष यज्ञ का आयोजन किया गया, जिसमें उपस्थित लोगों ने अपनी नकारात्मकताओं, मानसिक तनाव और बुराइयों को हवन में अर्पित कर आत्मिक शांति प्राप्त करने का संकल्प लिया।
संस्कृति और अध्यात्म का संगम
कार्यक्रम में स्कूली बच्चों ने सांस्कृतिक नृत्य प्रस्तुत कर आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया। संचालन ब्रह्माकुमारी महिमा बहन ने किया। 29 मार्च को शिविर का समापन होगा, जिसमें विशेष तनाव मुक्ति सत्र आयोजित किए जाएंगे।
हिन्दुस्थान समाचार / गिरजा शंकर मिश्रा