अधिवक्ता आंदोलन न्याय के रक्षार्थ संघर्ष : रत्नाकर
गोरखपुर, 29 नवंबर (हि.स.)। सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन का वर्तमान में चल रहा आंदोलन न केवल अधिवक्ताओं के मान सम्मान से जुड़ा है, वरन यह न्याय की रक्षा के लिए अधिवक्ताओं का संघर्ष है.
उक्त विचार सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन,गोरखपुर के पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष रत्नाकर सिंह एडवोकेट, वरिष्ठ एडवोकेट प्रदीप त्रिपाठी और वरिष्ठ एडवोकेट शैलेंद्र कुमार सिंह ने पत्रकारों से वार्ता के दौरान व्यक्त किया।
रत्नाकर सिंह ने कहा कि अपने न्यायिक कार्य के दौरान अधिवक्ताओं को तमाम विषम परिस्थितियों से रूबरू होना पड़ता है। लेकिन जब आततायी न्याय के मंदिर में न्याय के इस मुद्दे पर पहरुए की हत्या की कोशिश करेंगे तो स्वाधीनता के आंदोलन में वरिष्ठ पंक्ति में खड़े रहने वाले अधिवक्ता खामोश बैठने वाले नहीं है। वरिष्ठ अधिवक्ता भाई रविंद्र भूषण धर दुबे के ऊपर विगत 20 नवंबर को एक मुकदमे की पैरवी में दबाव न मानने के कारण प्राणघातक हमला किया गया, मारा-पीटा गया। गोली का निशाना बनाने का प्रयास हुआ। दो अतताइयों को पकड़कर अधिवक्ताओं ने कैंट थाने के सुपुर्द किया ,जहां हत्या के प्रयास सरीखे संगीन धाराओं के बाद भी कैंट इंस्पेक्टर संजय सिंह ने उन्हें खुद ही न्यायाधीश बनकर बिना किसी लिखा पढ़ी रिहा कर दिया और तभी से अधिवक्ता आंदोलनरत हैं। यह आंदोलन किसी कीमत पर न्याय की प्राप्ति के पूर्व समाप्त नहीं होगा। गिरफ्तारी हो, संजय सिंह का स्थानांतरण हो, मामले की जांच हो कि कैसे कोई व्यक्ति इतनी पुलिस सुरक्षा में असलहा लेकर आ गया और फिर निकल भी गया। यह पूरे सुरक्षा तंत्र पर सवालिया निशान है। नियमित दो से तीन हजार अधिवक्ता न्याय के रक्षण हेतु परिसर में आते हैं। ऐसे में उनके सामने भी यह एक यक्ष प्रश्न है कि परिसर में कानून का राज चलेगा या पुलिस की मनमानी ? इसी प्रकार बड़हलगंज कोतवाली में एक वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल तिवारी का प्रकरण भी तमाम आश्वासनों के बाद भी अनदेखा पड़ा है। किन परिस्थितियों में इन दोनों ही प्रकरणों में पुलिस अधिवक्ताओं की खिलाफत कर रही है? यह एक विचारणीय बिंदु है जब तक गिरफ्तारी या कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं होगी, यह आंदोलन जारी रहेगा। बार के अध्यक्ष भानु पांडे और मंत्री गिरिजेश त्रिपाठी के साथ हम सभी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय