डीकम्पोजर से बनाये पुआल खाद, मिट्टी की गुणवत्ता नहीं होती प्रभावित : मृदा वैज्ञानिक
कानपुर, 07 दिसम्बर (हि. स.)। उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में कम्पनी बाग़ स्थित चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत पराली को खाद में परिवर्तित करने के प्रयास कृषि वैज्ञानिक कर रहे हैं। इसी क्रम में कृषि विज्ञान केंद्र दलीपनगर ने विकास खंड मैथा के सहतवानपुरवा गांव में फसल अवशेष प्रबंधन पर पूसा डीकम्पोजर का प्रदर्शन हुआ। यह जानकारी रविवार को केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डॉ. खलील खान ने दी
केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डॉ खलील खान ने किसानों को पूसा डीकम्पोजर से पुआल की खाद बनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि इससे मिट्टी की गुणवत्ता भी प्रभावित नहीं होती हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पूसा नई दिल्ली द्वारा विकसित पूसा डिकम्पोजर के प्रयोग से पराली कम समय में गल करके खाद का रूप ले लेती है।
केंद्र के प्रभारी डॉ अजय कुमार सिंह ने फसल अवशेष में पाए जाने वाले पोषक तत्वों एवं अवशेष को जलाने पर होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि खाद कम समय में बनाने की प्रक्रिया कई किसान अमल में लाने लगे है। कृषि वैज्ञानिक नवीनतम कृषि तकनीकों को किसानों तक पहुंचाने के लिए सक्रिय हैं। इस मौके पर वैज्ञानिक डॉक्टर निमिषा अवस्थी, एसआरएफ शुभम यादव सहित कई किसान उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / मो0 महमूद

