श्री सत्य बाला जी सरकार का एक ऐसा धाम जहां पूरी होती मनोकामना बनते बिगड़ते काम
राम मंदिर निर्माण और राम लला के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर एक स्वप्न प्रेम जी महाराज को भी दिखाई दिया था। प्रेम जी महाराज बाला जी महाराज (जो की हनुमान जी के ही एक स्वरूप है) के सेवक है। साल 2010 में हृदय नारायण चतुर्वेदी( बाद में प्रेम जी महाराज हुए) जी अपने पैतृक गांव आए। गावं आने के बाद उन्होंने गायत्री यज्ञ कराया। साल 2011 में 15 अप्रैल से 21 अप्रैल तक सत चंडी यज्ञ कराया। गायत्री यज्ञ के बाद सत चंडी यज्ञ के लिए उन्होंने जप तप किया। जहां श्री सत चंडी यज्ञ हुआ ,उसके बाद उसी यज्ञ स्थल पर यज्ञ हवन जप तप करते रहे ,जिस खेत मे यज्ञ स्थल है वह ठाकुर वाला खेत के नाम से पहले से ही प्रचलित है।
राम शब्द की महिमा अपरम्पार है। जो राम को जान लिया वो जीवन की दिशा- दशा को साध लिया। राम महज मर्यादित ही नहीं बल्कि त्रेता युग से ही पूज्यनीय भी है। जब भी सनातन धर्म की बात आती तो राम शब्द की गूंज इस वायुमंडल में सुनाई देती है। जीवन के प्रारंभ से लेकर अंतिम सांस तक राम शब्द हमारे जीवन से जुड़ा रहता है।
बीते 22 जनवरी को पूरे देश में देव दीपावली का पर्व मनाया गया। शुभ मुहूर्त और शुभ तिथि में अयोध्या में श्री राम जन्म भूमि में बने राम लला के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न हुआ। पूरा देश उत्साहित और भावुक था। आख़िर हो भी क्यों ना? वर्षो की प्रतीक्षा समाप्त हो गई थी। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के बाल स्वरूप को उनके जन्म स्थान के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कर स्थापित किया जा रहा था।
अयोध्या के श्री राम जन्म भूमि में राम लला के भव्य मंदिर निर्माण को लेकर देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भक्तों ने खूब पूजा पाठ किया था। तरह-तरह की भविष्यवाणी भी हुई। जैसे मंदिर निर्माण कब होगा। किसके शासन काल में राम लला का मंदिर बनेगा और उसमें राम लला कब विराजेंगे।
राम मंदिर निर्माण और राम लला के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर एक स्वप्न प्रेम जी महाराज को भी दिखाई दिया था। प्रेम जी महाराज बाला जी महाराज (जो की हनुमान जी के ही एक स्वरूप है) के सेवक है। साल 2010 में हृदय नारायण चतुर्वेदी( बाद में प्रेम जी महाराज हुए) जी अपने पैतृक गांव आए। गावं आने के बाद उन्होंने गायत्री यज्ञ कराया। साल 2011 में 15 अप्रैल से 21 अप्रैल तक सत चंडी यज्ञ कराया। गायत्री यज्ञ के बाद सत चंडी यज्ञ के लिए उन्होंने जप तप किया। जहां श्री सत चंडी यज्ञ हुआ ,उसके बाद उसी यज्ञ स्थल पर यज्ञ हवन जप तप करते रहे ,जिस खेत मे यज्ञ स्थल है वह ठाकुर वाला खेत के नाम से पहले से ही प्रचलित है।
साल 2014-2015 में बाला जी के स्वरूप (जिनके दोनों कंधों पर राम और लक्ष्मण विराजमान है) को लाया गया और जहां यज्ञ हुआ उसी स्थान पर एक झोपड़ी डालकर श्री बाला जी की सेवा में जुट गए। धीरे-धीरे लोगों तक बात पहुंची। लोग आने लगे और फिर देखते ही देखते भक्तों का ताता लगने लगा। समय के साथ भक्तों की भीड़ होनी शुरु हुई और देखते ही देखते एक समय ऐसा भी आया जब छप्पर में स्थापित श्री सत्य बाला जी महाराज का भव्य मंदिर का निर्माण हो गया। कहा जाता है जो भी श्री सत्य बाला जी धाम धर्म नगर चौकड़ी में एक बार आया वो बाला जी का मुरीद हो गया। बाला जी से कुछ कहना नहीं पड़ता वो सबकुछ जान लेते जो भी कामना लेके कोई भक्त मंदिर में आता है।
श्री सत्य बाला जी महाराज का यह भव्य और सुंदर मन्दिर अयोध्या से राम जानकी मार्ग पर करीब 115 किलोमीटर दूर सिकरीगंज से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर बथुआ मार्ग पर ग्राम चौकड़ी में स्थित है। जिनको चौकड़ी वाले बाला जी के नाम से भी जाना जाता है।
प्रेम जी महाराज को राम लला के मंदिर और प्राण प्रतिष्ठा को लेकर आने वाला स्वप्न महज संयोग से रात के सोने में आ जाने वाला स्वप्न मात्र नहीं था बल्कि राम लला के अनन्य भक्त बाला जी महाराज के भक्त प्रेम जी महाराज को बाला जी महाराज का आदेश था। पूरे स्वप्न का जिक्र खुद प्रेमा जी महाराज ने किया है जिसका हुबहू संकलन उपस्थित है।
5 जून 2018 के दिन प्रेम जी महाराज हर दिन की भांति उस दिन भी रात में बाला जी को भोग लगाने के बाद सो गए। अचानक से बाला जी उनके स्वप्न में आए और आज्ञा दिए बोले सुनो साल 2024 में जनवरी महीने में हमारे आराध्य राम लला अयोध्या के श्री राम जन्म भूमि में बन रहे राम मन्दिर में बाल स्वरूप में आएंगे। प्रेम जी महाराज भावविभोर होकर रोने लगे। रोए भी क्यों ना जिसकी तपस्या रात दिन कर रहे थे वो आज दर्शन देकर प्रेमा जी महाराज को धन्य कर दिए थे।
सुबह हुआ। प्रेमा जी महाराज ने बाला जी की आज्ञा को सहेज कर हनुमान चालीसा का पाठ प्रारंभ कर दिया। भक्तों के पास संदेश पहुंचा अपने निकटतम हनुमान मंदिर में जाकर नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ प्रारंभ कर दे। प्रेम जी महाराज के आदेश को सिर आंखों पर रख के बाला जी महाराज के भक्तों ने पूजा प्रारंभ कर दी। दो चार लोगों से शुरु हुई ये पंक्ति देखते ही देखते कतारों में तब्दील हो गई। हजारों की संख्या में भक्तों ने नियमित हनुमान चालीसा का पाठ प्रारंभ कर दिया।
इधर प्रेम जी महाराज अखंड ज्योति जलाकर बाला जी से आशिर्वाद लेकर बाला जी के संदेश को संपूर्ण भारत में विस्तारित करने के लिए यात्रा प्रारंभ कर दी।
जून महीने साल 2018 में प्रेम जी महाराज ने सबसे पहले विश्व के एक मात्र ब्रह्मा जी के मन्दिर पुष्कर गए जहां मंदिर के महंत प्रज्ञान पुरी जी ने अंगवस्त्र प्रदान किया और साथ में ॐ लिखा हुआ 3 नारियल दिया। बोले ब्रह्मा जी का आशिर्वाद है।
प्रेम जी महाराज ने हनुमान चालीसा पाठ को नियमित जारी रखा और बाला जी महाराज के भक्तों से भी हनुमान चालीसा का पाठ करने को कहा। श्री सत्य बाला जी महाराज मंदिर का लोकार्पण 11 अक्टूबर साल 2023 को डॉक्टर बुद्ध रश्मि मणि (महानिदेशक राष्ट्रीय संग्रहालय् नई दिल्ली और कुलपति ,भारतीय बिरासत संस्थान, नोयडा) द्वारा किया गया।
इधर अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को राम लला का प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुआ। जिसके बाद एक दिन पुनः स्वप्न में बाला जी आदेश हुआ की जिस रूप में अयोध्या में हमारे प्रभु विराजमान हुए है उसी रूप में हमारे प्रभु श्री सत्य बाला जी महाराज धर्म नगर चौकड़ी में भी विराजमान होना चाहते है। आदेश मिलते ही प्रेमा जी महाराज अब राम लला के बाल स्वरूप को सत्य बाला जी धाम में स्थापित करने के लिए राजस्थान निकल दिए। चुकी राम लला का वहीं स्वरूप स्थापित होना था जो स्वरूप राम जन्म भूमि मंदिर में स्थापित है। जिसके लिए प्रेमा जी महाराज ने श्रीराम लला सरकार की प्राण प्रतिष्ठा राम नवमी के दिन 17अप्रैल 2024 की तारीख को चुना। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि राम लला का राम जन्म मंदिर स्वरूप महज एक महीने के भीतर तैयार हो गया। साथ ही राम लला के पैर के निचे जो मिट्टी पड़ी है वो मिट्टी वास्तविक राम जन्मभूमि अयोध्या की मिट्टी है। जो 15 मीटर निचे की मिट्टी है। जहां राम जी रहते थे खेलते थे। राम लला के साथ-साथ 17 अप्रैल को सतेश्वरी माता की मूर्ति स्थापित करप्राण प्रतिष्ठा किया गया।
जब से श्री बाला जी सत्य धाम धर्म नगर चौकड़ी में राम लला के बाल स्वरूप का आगमन हुआ तबसे भक्तों की भीड़ दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। प्रेम जी महाराज का कहना है बाला जी का जो भी आदेश होता वो कार्य अपने आप हो जाता। रुपये पैसे का इंतजाम खुद बाला जी करते। उन्होंने कहा जो भी यहां आया वो कभी निराश नहीं हुआ। सबकी अर्जी, दरखास्त लगते सभी मुरादे पूरी होती। मुरादे पूरी होने के बाद भकतगढ़ सवामनी चढ़ाते है।