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सपा सरकार में भर्तियां योग्यता से नहीं, जाति के आधार पर होती थीं : मनीष शुक्ल

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सपा सरकार में भर्तियां योग्यता से नहीं, जाति के आधार पर होती थीं : मनीष शुक्ल


लखनऊ,15 दिसम्बर (हि.स.)। अखिलेश यादव सरकार का दौर उत्तर प्रदेश के युवाओं के लिए निराशा, धोखे और भाई-भतीजावाद का पर्याय था। उस समय भर्तियां योग्यता से नहीं, बल्कि परिवार, जाति और सत्ता से नजदीकी के आधार पर तय होती थीं। आयोगों की स्वायत्तता कागजों तक सीमित थीं। अध्यक्ष और पदाधिकारी सत्ता और परिवार के इशारों पर काम करते थे, यही वजह है कि भर्तियां वर्षों तक पेंडिंग रखी जाती थीं और चयन सूचियों पर बार-बार सवाल उठते थे। यह बातें भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ल ने कही।

उन्होंने सोमवार को जारी बयान में कहा कि 2015 की UPPCS परीक्षा का पेपर लीक होना कोई दुर्घटना नहीं था, बल्कि उस सड़ी हुई व्यवस्था का परिणाम था जिसमें परीक्षा माफिया बेखौफ थे। शिक्षक और पुलिस भर्तियों में अनियमितताओं के आरोप, चयन रद्द होने की घटनाएं और अदालतों तक घसीटे गए मामले, यह सब उसी दौर की देन है। बेरोजगारी भत्ता के नाम पर युवाओं से झूठे वादे किए गए, लेकिन न पारदर्शिता मिली, न सम्मानजनक रोजगार। उस शासन में युवाओं को सिर्फ़ वोट बैंक समझा गया।मनीष शुक्ल ने कहा कि आज वही लोग यूपीपीसीएस और भर्ती प्रक्रियाओं की शुचिता पर सवाल उठा रहे हैं, जिनके राज में एक ही जाति और एक ही परिवार के इर्द-गिर्द पूरा प्रशासन घूमता था। जिनके समय में पेपर लीक होते थे, वही आज नैतिकता का पाठ पढ़ा रहे हैं, यह राजनीतिक पाखंड नहीं तो और क्या है?भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश में स्थिति बिल्कुल उलट है। निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत 8.5 लाख से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी दी जा चुकी है, जिनमें 1.75 लाख से अधिक महिलाएँ हैं। परीक्षा की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए सख्त कानून लागू है, एकल अवसरीय पंजीकरण जैसी व्यवस्थाएं हैं और जरा सी गड़बड़ी पर भी तुरंत कार्रवाई होती है। सरकारी नौकरी के साथ-साथ स्वरोजगार, MSME, स्टार्ट-अप, कौशल विकास और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से करोड़ों युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बने हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन