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कलाकार जीवित रहेगा, तो उसकी संगीत परंपरा और लुप्तप्राय वाद्ययंत्र भी जीवित रहेगा : सोमा घोष

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कलाकार जीवित रहेगा, तो उसकी संगीत परंपरा और लुप्तप्राय वाद्ययंत्र भी जीवित रहेगा : सोमा घोष


—'धरोहर'कार्यक्रम में संगीत कार्यशाला नृत्य के साथ सम्पन्न

वाराणसी, 29 नवम्बर (हि.स.)। बनारस घराने की शास्त्रीय गायिका पद्मश्री डॉ .सोमा घोष ने शुक्रवार को श्री अग्रसेन कन्या पीजी कॉलेज में छात्राओं को संगीत कार्यशाला में राग' रागिनी के योग़दान को बताया। काशी में नव स्थापित संगीत ग्राम के द्वितीय कार्यशाला धरोहर में नृत्य के साथ इसका समापन हुआ।

संस्कृति मंत्रालय, मधु मूर्च्छना, एस.बी.आई और एह्च्पिसीयेल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला में सोमा घोष ने हमरी अटरिया पे गाकर छात्राओं को झूमा दिया। उन्होंने अपने गायन से बनारस की सांस्कृतिक धरोहर की पुनः याद ताज़ा करा दी। गुरु-शिष्य परम्परा को कायम रखते हुए सोमा घोष ने सोलह संस्कार और तेरह उत्सव ध्यान संगीत को बताया।

उन्होंने दुर्लभ वाद्यों के संरक्षण पर बल देते हुए कहा कि बनारस संगीत का गढ़ है। और हम यह भी मानते हैं कि यदि कलाकार जीवित रहेगा, तो उसकी संगीत परंपरा और उसका लुप्तप्राय वाद्ययंत्र भी जीवित रहेगा। अगर आज के बच्चे श्रोता बने तो कलाकार एवं कला जीवित रहेगा। उन्होंने बताया कि अगर बच्चों में हुनर होगा तो उन्हें मंच भी मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य वर्तमान पीढ़ी के युवा छात्रों के लिए भारतीय संगीत की विरासत से उनका आत्मीय परिचय करवाना है। और समय के साथ अपने आप को बदलना भी ज़रूरी है। जैसे किसी राग को फिल्म के गाने में भी इस्तमाल किया जाता है। ठीक उसी तरह हम उसी राग को शास्त्रीय रूप से भी गायन करते है, अन्तर सिर्फ़ दृष्टिकोण का बदलाव है।

कालेज की प्राचार्य डॉ मिथिलेश सिंह ने अतिथियों का आभार जताया। कार्यक्रम में फिल्म निर्देशक शुभंकर घोष ,सह कलाकार पंडित ललित कुमार, पंडित पंकज मिश्रा,मुकुंद शर्मा,राजबंधु खन्ना ने भी समा बांधा। संचालन शिवानी आचार्य ने किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी