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जीवन में निश्चिंत्ता और निर्भयता जरुरी : पंडित बृजेश पाठक

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जीवन में निश्चिंत्ता और निर्भयता जरुरी : पंडित बृजेश पाठक


मुरादाबाद 17 जून (हि.स.)। शिव शक्ति मंदिर रामगंगा विहार प्रथम में मंगलवार को पांच दिवसीय श्री राम कथा का भव्य शुभारंभ हुआ जिसमें बरेली फरीदपुर से पधारे श्री राम कथा वाचक मानस मर्मज्ञ पंडित बृजेश पाठक रामायणी ने कहा कि जीवन में जो निश्चिंत्ता और निर्भयता दिखाई देती है उसका मूल कारण भक्तों का विश्वास है। भक्त प्रभु श्री राम की शरण में है और प्रभु का हाथ उनके सिर पर है।

पंडित बृजेश पाठक रामायणी ने कहा कि रामायण में श्री राम भी कहते है मेरा सच्चा सेवक वही है जो सेवक भीतर मेरा दर्शन करता हुआ सबकी सेवा में रहता है। हनुमानजी और लक्ष्मणजी ने प्रभु की सेवा निःस्वार्थ भाव से की है हमें इन्हें अपना आदर्श मानना चाहिए। उन्होंने बताया कि राम कथा का वास्तविक अर्थ समझाते हुए कहा कि इसके श्रवण से मनुष्य के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है। राम कथा सुनने से मन निर्मल हो जाता है। उन्होंने राम के कल्याणकारी स्वरूपों की चर्चा करते हुए उनकी महिमा का बखान किया। संगीतमय श्रीराम कथा को सुन श्रद्धालु भाव विभोर हो राम के जयकारे लगाए।

श्री रामायणी ने अंत में कहा कि महाभारत में जिस समय भीष्म पितामह ने अर्जुन को मारने की प्रतिज्ञा कर ली थी उस सभय सभी पांडव व्याकुल हो गए थे। अर्जुन की दशा जानने के लिए भगवान श्री कृष्ण रात्रि में अर्जुन के शिविर में पहुंचे और उन्होंने देखा अर्जुन तो गहरी नींद में सो रहे हैं। कृष्ण ने अर्जुन को जगा कर पूछा तुम सो रहे हो तुम्हें चिंता नहीं है तब अर्जुन ने कहा प्रभु जिस की चिंता में आप जाग रहे हैं उसे चिंता करने की क्या आवश्यकता है। कथावाचक ने आगे कहा कि निश्चिंत और निर्भय जीवन के लिए भगवान की शरण अति आवश्यक है।

कथा के उपरांत आरती हुई उसके बाद प्रसाद वितरित किया गया। व्यवस्था में गोरखनाथ प्रसाद, निमित जायसवाल, राधेमोहन शर्मा, पंडित हेमंत भट्ट, पंडित देवेन्द्र ओझा उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / निमित कुमार जायसवाल