home page

इरी के विशेषज्ञों ने चंदौली के बरहनी ब्लॉक में डी.एस.आर प्लाटों का किया निरीक्षण

 | 
इरी के विशेषज्ञों ने चंदौली के बरहनी ब्लॉक में डी.एस.आर प्लाटों का किया निरीक्षण


—जलवायु में बदलाव, पानी की कमी और सूखे से जूझ रहे किसानों के लिए राहत पहुंचाने की पहल

वाराणसी,16 अगस्त (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के बरहनी ब्लॉक में शनिवार को इरी के विशेषज्ञों ने डी.एस.आर प्लाटों में भ्रमण किया। जलवायु में बदलाव, पानी की कमी और सूखे से जूझ रहे किसानों को राहत पहुंचाने के लिए किसानों के साथ धान की सीधी बुआई पर विशेषज्ञों ने चर्चा की।

अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान (इरी) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क) के विशेषज्ञों ने धान की सीधी बुआई (डी.एस.आर) का बरहनी, चहनिया एवं कमरियां गाँव में प्रदर्शन किया। आइसार्क के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आर. के. मलिक, डॉ. विक्रम पाटिल, डॉ. सूर्यकांत, डॉ. सुनील एवं तकनीशियन गोविन्द ने धान की सीधी बुआई वाले खेतों का निरीक्षण करने के बाद इसके लाभ को भी बताया। निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह के अनुसार इस खरीफ फसल के सीजन में चंदौली जिले में लगभग दो सौ एकड़ में धान की सीधी बुआई की गयी है। उन्होंने बताया कि धान की सीधी बुआई तकनीक से पानी एवं समय दोनों की बचत होती है। और फसल भी 8 से 10 दिन पहले पक कर तैयार हो जाती है । फसल के लागत में भी कमी आती है। धान की सीधी बुआई में स्थानीय किसानों ने अपने अनुभव को भी विशेषज्ञों के समक्ष साझा किया। बरहनी के किसान मिथिलेश सिंह, अरुण सिंह, कमरिया गाँव के अनिल सिंह एवं चहनिया गाँव के प्रेम शंकर सिंह एवं अन्य किसानों ने डी.एस.आर तकनीक को उत्तम बताया और कहा कि इस विधि से धान की खेती में पानी भी कम लगा है और रोपाई के खर्च में काफी बचत हुई है। किसान मिथिलेश सिंह के प्रयास से ब्लॉक के अन्य किसान भी जागरूक हुए हैं। आइसार्क के सहयोग से यह पहल न केवल कृषि लागत को कम करने में सहायक सिद्ध हो रही है, बल्कि समय और संसाधनों की बचत के साथ-साथ किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले समय में इस तकनीक को और अधिक क्षेत्रों में विस्तार देने की योजना है, जिससे अधिक से अधिक किसान लाभान्वित हो सकें।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी