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डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया : प्रकाश पाल

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डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया : प्रकाश पाल


कानपुर, 06 जुलाई (हि.स)। डाॅ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने एक देश, एक प्रधान, एक विधान, एक निशान के मुद्दे और भारत की अखंडता को लेकर अपना बलिदान दिया था। शिखर पुरुष डॉ मुखर्जी का प्रथम लक्ष्य राष्ट्रीय एकता की स्थापना था। उन्होंने भारतीय जनसंघ के हजारों कार्यकर्ताओं के साथ कश्मीर सत्याग्रह के लिए अभियान प्रारंभ किया। इसके लिए उन्हें प्राण भी त्यागने पड़े। यह बातें रविवार को कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्रीय प्रभारी प्रकाश पाल ने कही।

डॉ मुखर्जी 1934 में 33 वर्ष की आयु में कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति बने और 1938 तक इस पद पर रहे। कश्मीर में धारा 370 समाप्त कर एक देश में एक प्रधान, एक विधान, एक निशान की भावनाओं को सम्मान करने का कार्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की एनडीए सरकार ने किया है। उन्होंने देश की प्रतिष्ठा व अखंडता के लिए कश्मीर में धारा 370 हटाने के लिए व्यापक आंदोलन प्रारंभ किया।

भाजपा दक्षिण जिलाध्यक्ष शिवराम सिंह ने कहा कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एक देश में दो प्रधान दो विधान दो निशान नहीं हो सकते, के विचार ने देश के युवाओं को एक नई दिशा दी। भाजपा सरकार ने डॉ मुखर्जी के सपनों को साकार किया है। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक भारत श्रेष्ठ भारत के संकल्प को साकार किया गया है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत को एक सूत्र में पिरोने का जो सपना डॉ मुखर्जी ने देखा था, वह आज साकार हुआ है। डॉ मुखर्जी सदैव भारत के सुनहरे भविष्य की कल्पना करते थे। राष्ट्रीय एकता के लिए उनके किए गए कामों को भुलाया नहीं जा सकता। भारतवासियों को कश्मीर वापस दिलाने का सपना उन्होंने ही भारतवासियों को दिखाया था।

हिन्दुस्थान समाचार / रोहित कश्यप