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डीएम का बंगला और सरकारी जमीन में बने 32 मकान आए कार्रवाई की जद में

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डीएम का बंगला और सरकारी जमीन में बने 32 मकान आए कार्रवाई की जद में


--सरकारी जमीन में प्लाटिंग के रेकार्ड खंगालने में जुटे एडीएम

हमीरपुर, 05 मई (हि.स.)। हमीरपुर शहर में डीएम बंगला और इससे सटी हजार करोड़ की जमीन के कथित विवाद के मामले में अब प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करने की तैयारी की है। बेशकीमती भूमि के प्लाटिंग के बाद बनाए गए बत्तीस बहुमंजिले भवन अब जांच के बाद कार्रवाई की जद में आ गए है। एडीएम की अध्यक्षता में राजस्व डिपार्टमेंट के अफसरों व कर्मियों की बनाई गई टीम ने कानपुर-सागर नेशनल हाइवे किनारे सरकारी भूमि और चौरादेवी मंदिर के पास बने भवनों की जांच पड़ताल की। सरकारी जमीन की नाप और जोख भी कराई गई है। जिससे भवन मालिकों में हड़कम्प मचा हुआ है।

हमीरपुर शहर में मराठाकालीन बंगला और इससे सटी 58.14 एकड़ जमीन पर अंग्रेजों के जमाने में कलेक्टर के आधीन था। अंग्रेजों के भारत छोड़े जाने के बाद इस बंगले और अरबों रुपये कीमत की जमीन पर सिंघल परिवार ने अपना हक जताया था। इसे लेकर साढ़े चार दशक पहले सिंघल परिवार ने हाईकोर्ट में वाद दायर किया था। यहां के प्रशासन की कानूनी लड़ाई को जीतने के लिए ठोस पैरवी नहीं की जिससे कलेक्टर बंगला और उससे जुड़ी बेशकीमती जमीन हाथ से निकलने का खतरा मंडरा गया था। यह मामला हाईकोर्ट में लम्बे समय तक चला। जिसमें विपक्षियों के पक्ष में फैसला होने के कारण प्रशासन की मुश्किलें बढ़ गई थी। मामला सुप्रीमकोर्ट तक पहुंचा था।

तत्कालीन एसडीएम राजाराम सिंह ने मुकदमे की दिशा बदलने के लिए बड़ी पैरवी की थी। लेकिन स्थानीय प्रशासन के लापरवाह अफसरों व राजस्व कर्मियों की मिलीभगत के कारण इस मुकदमे में प्रशासन को तगड़ा झटका लगा था। तत्कालीन डीएम बी.चन्द्रकला के कार्यकाल में बंगला और सरकारी जमीन पर संकट मंडरा गया था। डीएम आवास और एसपी आवास बनाए जाने के लिए सुमेरपुर औद्योगिक नगरी से कूछ दूर नेशनल हाइवे के पास जमीन भी चिन्हित कराई गई थी। लेकिन उनके स्थानांतरण होने के बाद यह मामला ठंडा हो गया था।

--फर्जी अभिलेखों के जरिए अरबों की जमीन हड़पने की थी बड़ी तैयारीडीएम घनश्याम मीना के मुताबिक कलेक्टर आवास व इससे सटी 58.14 एकड़ भूमि के पर्याप्त अभिलेख रिकार्ड रूम में उपलब्ध होने के बाद भी यहां के तत्कालीन अधिकारियों ने कोर्ट में पैरवी नहीं की थी। जिसके कारण आवास व बेशकीमती जमीन हाथ से निकलने की नौबत आ गई थी। पिछले साल अक्टूबर में छह सदस्यीय कमेटी से जांच कराई गई तो फर्जीबाड़े का खुलासा हो गया। हमीरपुर के सदर एसडीएम एसपी विश्वकर्मा ने डीएम के आदेश पर कोतवाली में पूर्व एसडीएम बीके गुप्ता, तहसीलदार, नायब तहसीलदार जैनेन्द्र सिंह समेत तेरह लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई थी। हमीरपुर के तत्कालीन नायब तहसीलदार जैनेद्र सिंह मौजूदा में प्रदेश के किसी जनपद में अपर जिलाधिकारी हैं।

--सरकारी भूमि पर प्लाटिंग में बने बत्तीस भवनों की जांच पड़ताल शुरूकलेक्टर आवास से सटी बेशकीमती जमीन पर विपक्षियों ने प्लाटिंग कर करोड़ों रुपये का खेल खेला है। अब जब फर्जी अभिलेखों में हेऱाफेरी करने के बड़े मामले का खुलासा होने के बाद कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया है तो ऐसे में विपक्षियों में खलबली मची हुई है। डीएम ने सरकारी जमीन पर बने भवनों की जांच और भूमि की नाप जोख कराने के लिए एडीएम को लगाया है तो भवन मालिकों में हड़कम्प मचा हुआ है। तहसीलदार रवीन्द्र पाल ने तीन लेखपालों के साथ कलेक्टर आवास के आसपास की जमीन की नाप जोख कराई है।

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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज मिश्रा