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समाज का प्रबोधन करना साहित्यकार का धर्म

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समाज का प्रबोधन करना साहित्यकार का धर्म


समाज का प्रबोधन करना साहित्यकार का धर्म


साहित्यकारों ने भावामृत को विश्व तक पहुंचाया: अनंत वीर्यजो संवेदनाओं को कागज पर उतार दे वही साहित्यकार

मथुरा, 04 मई (हि.स)। अखिल भारतीय साहित्य परिषद उत्तर प्रदेश की ओर से रविवार को गीता शोध संस्थान वृंदावन में आत्मबोध से विश्व बोध तक विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अलग-अलग भाषा बोलियों के साहित्यकारों को साहित्य गौरव सम्मान समारोह प्रदान किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अक्षय पत्र के अनंतवीर्य महाराज ने कहा कि बृज भूमि आए सभी साहित्यकार साधुवाद के पात्र हैं। यह दिव्य भूमि है । यहां भक्ति रस बहती है ।ग्रंथ को पढ़कर अपने जीवन में उतारे तभी उसका प्रभाव होगा। उन्होंने कहा कि वैष्णव किसी के प्रति द्वेष भाव नहीं रखते। वह ना तो किसी की निंदा करता है और ना ही निंदा सुनता है।अनंत वीर्य ने कहा कि भारत भ्रमण के दौरान चैतन्य महाप्रभु जब ब्रज में आए उसके बाद उनके 6 शिष्यों ने ब्रज के सभी ग्रन्थ का आधार लेकर अनेक ग्रन्थ का लेखन किया। उन्ही साहित्यकारों ने कृष्ण भावनामृत को वैश्विक बनाया।

साहित्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील चंद्र त्रिवेदी ने कहा कि पहले स्वयं बोध होगा तभी विश्व बोध होगा। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय साहित्य परिषद मे परिवारिकता का वातावरण बना रहना चाहिए। हम अपनी आत्मीयता को बढ़ते जाएं।

अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर ने कहा कि जो संवेदनाओं को कागज पर उतार दे वही साहित्यकार होता है।साहित्यकार को जब तक आत्मबोध नहीं होगा तब तक विश्व के बारे में वह चिंतन नहीं कर सकता। साहित्यकार को जो कुछ आंखों से दिखाई देता है उसके साथ अंतरंगता से जुड़ता है। दूसरे के सुख में सुखी दुख में दुखी मनुष्य की प्रवृत्ति है।

साहित्य परिषद के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री मनोज ने कहा कि समाज का प्रबोधन करना साहित्यकार का धर्म है। भारत में जितने विवाद हैं उसका कारण पश्चिमी दृष्टि है। पिछले कुछ वर्षों में हमारी सोच पश्चिमी बन गई। हमें भारतीय दर्शन की अनुभूति ही नहीं है। संपूर्ण मानवता के कल्याण का जो भारत का विचार है उसका बोध आज स्वयं को नहीं है। उस बोध को समाज तक साहित्यकार अच्छी तरह से पहुंचा सकते हैं।

साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डॉक्टर पवन पुत्र बादल ने संगठन के आगामी तीन कार्यक्रमों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि जिन साहित्यकारों ने अलग-अलग बोलियों पर काम किया है उनका सम्मान, आत्मबोध से विश्व बोध पर व्याख्यान और संघ शताब्दी वर्ष पर संघ साहित्य पर चर्चा करनी है।

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हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन