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भारत में हाथियों का माइग्रेशन उत्तर से दक्षिण में हुआ : प्रोफेसर रमन सुकुमार

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भारत में हाथियों का माइग्रेशन उत्तर से दक्षिण में हुआ : प्रोफेसर रमन सुकुमार


—विश्व के 60 फीसदी हाथी भारत में,पिछले 45 वर्षों में हाथी और मानव का टकराव 4 गुना बढ़ा

वाराणसी, 05 फरवरी (हि.स.)। आईआईएससी बैंगलोर के प्रोफेसर रमन सुकुमार ने बताया कि जीनोम सीक्वेंसिंग से पता चला है कि भारत में हाथियों के 5 विशिष्ट लीनीयेज पाये जाते हैं। उनका माइग्रेशन उत्तर से दक्षिण में हुआ है। विश्व के 60 फीसदी हाथी भारत में पाए जाते हैं। इसलिये हाथियों के संवर्धन के लिए भारत की भूमिका सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है। प्रोफेसर रमन कुमार बुधवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आयोजित 25वें प्रोफेसर एस पी रे चौधरी मेमोरियल लेक्चर को सम्बोधित कर रहे थे।

विश्वविद्यालय के महामना सभागार में प्रो. सुकुमार ने कहा कि हाथी-मनुष्य का संबंध सदियों पुराना है। यह मनुष्य को तय करना है कि वह कैसे उनके प्राकृतिक वास को सुरक्षित रखता है। हाथियों का रेंज एक्सपेंशन उनके हैबिटैट डिस्ट्रक्शन के कारण हो रहा है। इसकी वजह से हाथियों का मानव के साथ आमना - सामना बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि हाथी हमारे पर्यावरण के लिए बहुत आवश्यक हैं। उनकी आवश्यकता को देखते हुए भारत सरकार भी हाथी संरक्षण के कार्यक्रम चला रहा है। उन्होंने बताया कि विकास की दौड़ से पिछले 45 वर्षों में हाथी और मानव का टकराव कम से कम 4 गुना बढ़ गया है। इसका प्रमुख कारण पर्यावरण में बदलाव, शहरीकरण, औद्योगिकीकरण है। ऐसा नहीं है कि इस दौरान हाथियों की संख्या में घटोत्तरी हुई है। इस समयावधि में हाथियों की संख्या 15000 से 30000 हो गई है। जो उनको अपने इलाके से बाहर निकलने को बाध्य कर रही है।

उन्होंने बताया कि हाथियों में नर हाथी ज़्यादा प्रभावी और ताकतवर होता है। मानव के साथ हुए ज्यादातर कॉन्फ्लिक्ट में नर की ही भागीदारी होती है। उन्होंने बताया कि चिड़ियाघरों में रहने वाले हथियों में स्ट्रेस हॉर्मोन जंगल में रहने वाले हाथियों से ज़्यादा पाया जाता है। व्याख्यान में एमेरिट्स प्रोफेसर राजीव रमन ने प्रोफेसर एस पी रे चौधरी को ऐसा वैज्ञानिक बताया जिन्होंने भारत में विज्ञान की एक नई विधा ड्रॉसोफ़िला जेनेटिक्स और साइटोजेनेटिक्स को स्थापित किया, जो आज भी प्रासंगिक है। संस्था की सचिव प्रोफेसर मधु तापड़िया ने मुख्य वक्ता का परिचय दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता बीएचयू विज्ञान संस्थान के पूर्व संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर एस. एन. ठाकुर ने किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी