पर्यावरण का संरक्षण करते हुए विकास आज के समय की सबसे बड़ी प्राथमिकता : डॉ जोनाथन हॉल

बीकानेर, 28 मई (हि.स.)। प्रोफेसर ईस्ट मिशिगन विश्वविद्यालय, यूएसए डॉ जोनाथन हॉल ने कहा कि पर्यावरण का संरक्षण करते हुए विकास किया जाना आज के समय की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। बिना पर्यावरण के संरक्षण के विकास का कोई भी मुकाम हासिल करना नुकसान का सौदा साबित होगा। प्राेफेसर हाॅल बुधवार काे पर्यावरण विज्ञान विभाग महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर द्वारा पर्यावरण पर आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के अंतिम दिन मुख्य वक्ता के ताैर पर संबाेधित कर रहे थे।
प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय, नागौर, डॉ एच.एस छरंग, डॉ. अमिता कनौजिया प्राणी शास्त्र विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ, डॉ रश्मि शर्मा, अधिष्ठाता अर्थ साइंस, वनस्थली विद्यापीठ, टोंक डॉ दिवाकर व्यास फ्लोरिडा विश्वविद्यालय, यूएसए ने इस सत्र में पर्यावरण संरक्षण और प्रबंधन के विभिन्न आयामों और विषयों पर अपने-अपने व्याख्यान दिए। इसके अलावा प्रेम अधीश लेखी, मलेशिया, मार्जोन, एनीसलग फिलीपींस, डॉ. सुमित डूकिया गुरु गोबिंद सिंह विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ने भी संबाेधित किया। इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में कुल 2000 पंजीकरण हुए हैं, जिसमें 20 से ज्यादा देशों ने भाग लिया है। 1000 सारांश ईपुस्तक में प्रकाशित हुए हैं।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. जगदीश राणे, निदेशक, आईसीएआर- केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीकानेर ने कहा कि सतत विकास के बिना मनुष्य आगे नहीं बढ़ सकता है। हमें देश के विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए ही वहां के कृषि उद्यान इत्यादि की गतिविधियों को बढ़ावा देना चाहिए।साथ ही हमें कृषि में कीटनाशकों के प्रयोग को सीमित करना चाहिए।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अरविंद बिश्नोई ने बताया कि आज के समय में पेड़ों को बचाना नितांत आवश्यक है, तथा उन्होंने प्रचलित संदेशसर साठे रुख रहे तो भी सस्तो जान जिसका अर्थ है कि अगर सर कटा के भी किसी पेड़ को बचाया जाए तो बहुत ही सस्ता सौदा है, अर्थात एक पेड़ की कीमत मानव जीवन से अधिक है। इस अवसर पर खेजड़ी बचाओ अभियान के भगवान प्रजापत जी ने बताया कि जिस तरह से मानव शरीर में एक बाल को खींचकर तोड़ने पर पूरे शरीर को दर्द होता है इसी तरह से धरती के किसी भी भूभाग में पेड़ों की कटाई करने से पूरी धरती को पीड़ा होती है आज मानव समाज को यह समझना बहुत जरूरी है।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजीव