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राजस्थान में बांस की खेती को बढ़ावा देने की जरूरत, गन्ने- मक्के से भी ज्यादा फायदेमंद है

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राजस्थान में बांस की खेती को बढ़ावा देने की जरूरत, गन्ने- मक्के से भी ज्यादा फायदेमंद है
राजस्थान में बांस की खेती को बढ़ावा देने की जरूरत, गन्ने- मक्के से भी ज्यादा फायदेमंद है


बीकानेर, 4 अप्रैल (हि.स.)। उत्तरप्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद लखनऊ के महानिदेशक डॉ संजय सिंह ने कहा कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ वेजिटेबल साइंस बनारस टमाटर, बैंगन और आलू तीनों को एक ही पौधे से उत्पादन कर रहा है। ऐसी खेती को बढ़ावा देने की भी जरूरत है जो शहर के लोग अपने घर में गमले में भी इसे कर सकते हैं। साथ ही कहा कि राजस्थान में बांस की खेती को बढ़ावा दिया जा सकता है। सरकार एथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। बांस के बीच के हिस्से से बहुत अच्छी क्वालिटी का एथेनॉल मिलता है। बांस से एथेनॉल का उत्पादन गन्ने और मक्के से भी ज्यादा फायदेमंद है। साथ ही बांस की खेती जमीन व पानी का संरक्षण और प्रदूषण को रोकने में सहायक है।

डॉ. सिंह गुरुवार को स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में प्रसार सलाहकार समिति की बैठक में बतौर अतिथि बोल रहे थे। बैठक में अतिथि बांदा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एनपी सिंह थे। अध्यक्षता कुलपति डॉ अरुण कुमार ने की। प्रगतिशील किसान झुंझुनूं की अनिता, लुणकरणसर से मुकेश कुमार और बीकानेर से विरेन्द्र लुणा ने मंच पर भागीदारी की।

महानिदेशक डॉ संजय सिंह ने यह भी कहा कि राजस्थान में लेमन ग्रास और खस घास की खेती को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। जिनमें पानी की जरूरत कम होती है। लेमन ग्रास का तेल 8 हजार प्रति लीटर और खस घास का तेल 3 हजार रू प्रति लीटर बिकता है। अटारी जोधपुर के निदेशक डॉ जेपी मिश्रा ने कृषि विज्ञान केन्द्रों को एकला चलो की बजाय आपस में समन्वय के साथ चलने, डिजिटिलाइजेशन पर ध्यान केन्द्रित करने व स्पेस और स्कोप को बढ़ाने की बात कही।

बांदा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एनपी सिंह ने कहा कि किसानों को व्यापारी बनने की जरूरत है। उन्हें मार्केट से जोड़ने की जरूरत है। तभी किसान अपनी आय बढ़ा पाएगा। किसान अपनी उपज रॉ मटेरियल के रूप में सीधे मार्केट में ना बेचकर उसे वैल्यू एडिशन करके और प्रोसेसिंग करके बेचे।कम लागत में आधुनिक खेती करने की जरूरत है। साथ ही कहा कि कृषि वैज्ञानिक नए शोध के साथ साथ किसानों के द्वारा किए गए इनोवेशन को सर्टिफिकेशन के साथ सभी किसानों तक पहुंचाएं।

कुलपति डॉ. अरूण कुमार ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक दिन दुगुनी और रात चौगुनी मेहनत कर किसानों के चेहरों पर मुस्कुराहट लाने की पूरी कोशिश करेंगे। इससे पूर्व प्रसार निदेशक डॉ. सुभाष चंद्र ने स्वागत भाषण में पिछले छह महीने की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। साथ ही सभी केवीके इंचार्ज ने पॉवर पोइंट प्रजेंटेशन के जरिए प्रगति बताई। मंच संचालन डॉ केशव मेहरा ने किया। झुंझुनं केवीके इंचार्ज डॉ. दयानंद ने धन्यवाद ज्ञापित किया। बैठक में सभी डीन डायरेक्टर समेत अन्य कृषि वैज्ञानिक उपस्थित थे

हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/ईश्वर