बदलेगा ठाकुरजी का सिंहासन और सोमवार से करेंगे जल विहार

जयपुर, 10 मई (हि.स.)। गोविंद देवजी मंदिर में सोमवार से प्रारंभ होने वाले जल उत्सव से पूर्व ही ठाकुरजी का सिंहासन बदला जाएगा। श्री ठाकुरजी को चांदी के रियासतकालीन सिंहासन पर विराजमान कर उन्हे राधा रानी संग सुगंधित जल की फुहारों के बीच भक्तों को दर्शन देने के लिए बिठाया जाएगा। जलविहार के दौरान ठाकुरजी भक्तों को पानी बचाने का संदेश देंगे। इससे पूर्व जलविहार की झांकी 1 घंटे की हुआ करती थी, अब उसका समय घटाकर मात्र 15 मिनट कर दिया है। इस झांकी के दौरान गर्भगृह में ठाकुर जी को रियासत कालीन चांदी का फव्वारा लगाकर शीतलता प्रदान की जाएगी। साथ ही ठाकुरजी को सूती धोती धारण कराई जाएगी। तरबूज, आम, जामुन, फालसे जैसे ऋतु फलों का भोग लगाया जाएगा। खस और गुलाब का शरबत भी भगवान को अर्पित किया जाएगा। मैसूर और दूसरी जगह से मंगाया गया विशेष चंदन का लेप भी ठाकुर जी को लगाया जाएगा।
सोमवार को प्रारंभ होगा जल उत्सव
वैशाख शुक्ल पूर्णिमा 12 मई से जल यात्रा उत्सव की शुरूआत होगी। दोपहर में महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में गोविन्ददेवजी मंदिर में जलयात्रा उत्सव मनाया गया। भगवान को निज गर्भ मंदिर में विशेष तिथियों आरै पर्वों पर फव्वारों से चंदन, केवड़ा और गुलाब जल युक्त ठंडे सुगंधित जल से शीतलता प्रदान की जाएगी। इसके साथ ही शीतलता प्रदान करने वाले ऋतु पुष्पों से शृंगार कर आम, खरबूजा, तरबूज, खस और गुलाब का शरबत, मुरब्बे आदि ठाकुरजी को अर्पण किए जाएंगे।
बारह दिन होगा जल यात्रा उत्सव:
गोविंददेव जी मंदिर प्रांगण में इस बार वैशाख पूर्णिमा 12 मई से जलयात्रा उत्सव की शुरुआत होगी। दोपहर 12:30 से 12:45 बजे तक ठाकुरजी राधा रानी संग शीतल फुहारों के बीच भक्तों को दर्शन देंगे। उसके बाद 18 मई, 23 मई(अपरा एकादशी), 26 मई, 27 मई, 28 मई, 31 मई, 05 जून, 07 जून को जल यात्रा उत्सव के तहत जलविहार की झांकी सजेगी। सात जून को निर्जला एकादशी पर जल विहार झांकी का समय 1:45 से 01:00 बजे तक रहेगा। ज्येष्ठाभिषेक का मुख्य उत्सव 11 जून को साढ़े बारह से एक बजे तक होगा। जलविहार का ये जल मंदिर के पीछे जय निवास उद्यान की ओर निकलता है। जहां श्रद्धालु इस जल में स्नान भी करते हैं और अपने साथ जल पात्र में भरकर घर भी लेकर के जाते हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश