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कृषि विश्वविद्यालय : किसान करें रसायनों का संतुलित एवं न्यायोचित उपयोग

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कृषि विश्वविद्यालय : किसान करें रसायनों का संतुलित एवं न्यायोचित उपयोग


जोधपुर में कृषि आदान विक्रेताओं के लिए डिप्लोमा पाठ्यक्रम का शुभांरभ

जोधपुर, 06 दिसंंंबरर (हि.स.)। कृषि विश्वविद्यालय के डॉ. बी.आर. चौधरी कृषि अनुसंधान केंद्र, मंडोर में कृषि आदान विक्रेताओं के लिए एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स का शुभारंभ किया गया।

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलगुरू प्रो. वीरेन्द्र सिंह जैतावत ने अपने उद्बोधन में सभी प्रतिभागियों को बधाई देते हुए कहा कि इस डिप्लोमा से प्राप्त तकनीकी ज्ञान को किसानों के खेतों तक पहुंचाकर वे अपने कृषि उद्यम में नई उन्नति प्राप्त करेंगे। उन्होंने कहा कि पश्चिमी राजस्थान में कृषि तकनीकों एवं नवाचारों के प्रसार में यह कोर्स महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

कुलगुरु ने अत्यधिक रासायनिक उपयोग के कारण पर्यावरण और मृदा पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभावों पर चिंता व्यक्त की तथा आदान विक्रेताओं से आग्रह किया कि वे किसानों को रसायनों का संतुलित एवं न्यायोचित उपयोग करने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने चेताया कि बिना तकनीकी जानकारी के अनावश्यक कृषि आदान बेचने से पर्यावरण, लाभकारी जीवाणु तथा खाद्यान्न की गुणवत्ता पर दुष्प्रभाव पड़ता है, जो भूमि की उर्वरता के लिए गंभीर संकट बन सकता है।

डॉ एम.एम. सुंदरिया, निदेशक अनुसंधान ने कहा कि गांवों में कृषि आदान विक्रेताओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि किसानों तक सही खाद, बीज एवं रसायनों की जानकारी इन्हीं के माध्यम से पहुंचती है। उन्होंने सलाह दी कि विक्रेता मिट्टी परीक्षण के आधार पर ही उचित मात्रा में कृषि आदान उपलब्ध कराएं, जिससे किसानों की लागत घटे और उत्पादन लाभ में वृद्धि हो।

कार्यक्रम के स्वागत उद्बोधन में डॉ एम.एल. मेहरिया, क्षेत्रीय निदेशक अनुसंधान ने बताया कि इस कोर्स में क्षेत्र विशेष की फसल तकनीक, कृषि आदानों की कुशल हैंडलिंग तथा आवश्यक व्यावसायिक नियमों की जानकारी प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि विक्रेता केवल व्यापार की मानसिकता से न चलें, बल्कि मानव कल्याण, प्रति संरक्षण एवं सतत् कृषि को ध्यान में रखते हुए काम करें। इन्होने बताया की आदान-विक्रेता किसानों व कृषि वैज्ञानिकों के बीच में एक कड़ी का काम करते है। जो वैज्ञानिकों द्वारा किए गये अनुसंधान को जैसे की समन्वित कीट रोग व उर्वरक प्रबधंन की जानकरी किसानों तक पहुचाऐं।

डिप्लोमा के फेसिलिटेटर डॉ आर. पी. जांगिड़ ने जानकारी दी कि कोर्स में कुल 40 प्रतिभागी सम्मिलित हुए हैं जिनके लिए 40 लिखित एवं 8 प्रैक्टिकल कक्षाओं का आयोजन किया जाएगा। साथ ही प्रतिभागियों को नवीन तकनीकों की जानकारी हेतु विभिन्न अनुसंधान स्थलों का भ्रमण भी करवाया जाएगा। इस कार्यक्रम में केंद्र के अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी भी उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / सतीश