गंग नहर के 100 वर्ष पूर्ण होने पर मुख्यमंत्री ने नहरी तंत्र के लिए दी 1,717 करोड़ रुपये के कार्यों की सौगात
महाराजा गंगा सिंह की दूरदर्शी सोच ने मरुस्थल को अन्न भंडार में बदला- मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा
श्रीगंगानगर/जयपुर, 5 दिसंबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि हमारी सरकार की किसान हितैषी नीतियां और योजनाएं प्रदेश के उज्ज्वल भविष्य के बीज हैं। किसानों की समृद्धि हमारा लक्ष्य है और राजस्थान को विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाना हमारा संकल्प है।
शर्मा शुक्रवार को श्रीगंगानगर के साधुवाली में गंग नहर शताब्दी समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 100 वर्ष पूर्व 5 दिसंबर 1925 को महाराजा गंगा सिंह जी ने रेगिस्तान को हरा-भरा बनाने के संकल्प के साथ गंग नहर का शिलान्यास किया था। उसी विरासत को आगे बढ़ाते हुए हमारी सरकार ने गंग नहर के पुनरुद्धार हेतु 1 हजार 717 करोड़ रुपये के विकास कार्यों की सौगात दी है। उन्होंने कहा कि यह अवसर मरुस्थल को अन्न भंडार में बदलने की दूरदर्शी सोच का पर्व है। यह राजस्थान के सुनहरे भविष्य के निर्माण का एक सुनहरा पल है।
अक्टूबर 2027 तक पूरे होंगे गंग नहर प्रणाली के पुनरुद्धार कार्य
शर्मा ने कहा कि विकास विरासत के सम्मान के साथ ही, भविष्य के निर्माण का संकल्प है। इन विकास कार्यो से गंग नहर प्रणाली को नई मजबूती मिलेगी, जिससे किसान भाइयों के जीवन में नई समृद्धि आएगी। उन्होंने कहा कि 647 करोड़ रुपये से फिरोजपुर फीडर के पुनर्निर्माण से पानी की नियमित आपूर्ति में स्थिरता आएगी और पूरे नहर तंत्र की जीवन क्षमता बढ़ेगी। साथ ही, 300 करोड़ रुपये से बीकानेर कैनाल के पुनरुद्धार से सीधे तौर पर लाखों किसानों को लाभ मिलेगा। वहीं, प्रथम चरण में 695 करोड़ रुपये से गंग नहर प्रणाली के 3.14 लाख हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र का ऑटोमेशन भी होगा, जो कि राजस्थान की सिंचाई व्यवस्था का भविष्य है। इस ऑटोमेशन से पानी का वैज्ञानिक वितरण और रियल टाइम मॉनिटरिंग जैसे काम संभव हो सकेंगे। 75 करोड़ रुपये से क्षतिग्रस्त नहरों एवं नकारा खालों का भी पुनर्निर्माण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन कार्यों को अक्टूबर 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार ने किसान सम्मान निधि की राशि को बढ़ाकर 9 हजार रुपये कर दिया है और इसे चरणबद्ध तरीके से 12 हजार रुपये तक बढ़ाने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि राज्य के 76 लाख से अधिक किसानों को अब तक किसान सम्मान निधि की 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि हस्तांतरित की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि किसानों को 44 हजार करोड़ रुपये से अधिक का ब्याज मुक्त अल्पकालीन फसली ऋण वितरित किया गया है। समर्थन मूल्य पर 33 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया है। पिछले वर्ष 125 रुपये और इस वर्ष 150 रुपये बोनस देकर गेहूं की खरीद पर 450 करोड़ रुपये से अधिक की बोनस राशि का भुगतान किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पीएम कुसुम योजना से किसानों को नया संबल तथा ऊर्जा मिली है। राजस्थान कुसुम-ए में पहले और कुसुम-सी में तीसरे स्थान पर है। उन्होंने कहा कि 22 जिलों में किसानों को दिन में बिजली उपलब्ध करवाई जा रही है और श्रीगंगानगर के किसानों को भी हम दिन में बिजली देंगे। उन्होंने कहा कि राज्य और केन्द्र की डबल इंजन की सरकार कृषि क्षेत्र में निरंतर दूरगामी निर्णय ले रही है, जिससे किसानों का आर्थिक सशक्तीकरण हो रहा है। केन्द्र सरकार ने हमारे अनुरोध पर महात्मा गांधी नरेगा योजना के अंतर्गत फार्म पॉण्ड श्रेणी में अब टांका निर्माण कार्य की अनुमति प्रदान की है।
शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार प्रतिबद्धता के साथ श्रीगंगानगर जिले में विकास कार्य करवा रही है। उन्होंने कहा कि 185 करोड़ रुपये से कंवरसेन लिफ्ट नहर में क्षतिग्रस्त खालों का जीर्णाेद्धार, 60 करोड़ रुपये से भाखड़ा एवं गंगनहर परियोजना क्षेत्रों में खालों का निर्माण करवाया जा रहा है। इसी तरह 200 करोड़ रुपये से रायसिंह नगर, अनूपगढ़, घड़साना, रावला, श्रीविजयनगर के 44 हजार हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र में पक्के खालों का पुनर्निर्माण एवं 75 करोड़ रुपये से इंदिरा गांधी मुख्य नहर की बुर्जी संख्या 620 से 1,458 तक नहर के दोनों पटड़ों का सुदृढ़ीकरण भी करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि श्रीगंगानगर-कोटपूतली ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे की डीपीआर बनवाई जा रही है तथा 46 करोड़ रुपये से करणपुर-केसरीसिंहपुर वाया धनूर सड़क का चौड़ाईकरण कार्य भी करवाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने किसानों के साथ अन्याय किया तथा फिरोजपुर फीडर पर ध्यान नहीं दिया। हमारी सरकार ने गठन के साथ ही कृषक हित में काम करना शुरू कर दिया जिसका परिणाम धरातल पर दिख रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार जितने काम 5 साल में नहीं कर सकी, उससे अधिक काम हमने सिर्फ 2 साल में कर दिये हैं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने गन्ने के वर्तमान समर्थन मूल्य को 15 रूपये बढ़ाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि गेती किस्म के गन्ने के लिये समर्थन मूल्य 401 रु. प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 416 रू. प्रति क्विंटल, मध्यम किस्म के लिये 391 रू. प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 406 रू. प्रति क्विंटल, पछेती किस्म के लिये 386 रु. प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 401 रु. प्रति क्विंटल की जाती है।
केन्द्रीय विधि एवं न्याय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि गंग नहर के पुनरूद्धार कार्य, नहरी तंत्र को संगठित एवं सुदृढ़ करने के साथ ही किसानों की सुरक्षा का एक बड़ा प्रयास है। उन्होंने कहा कि पण्डित मदन मोहन मालवीय ने महाराजा गंगा सिंह को नहरी तंत्र विकसित करने का सुझाव दिया था। महाराजा गंगा सिंह ने वर्ष 1925 में गंग नहर की नींव रखी और ‘वैली ऑफ डेथ’ को ‘वैली ऑफ लाइफ’ में बदलने का काम किया।
जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार किसानों को सिंचाई के लिए अंतिम खेत तक पानी उपलब्ध करवाने के लिए कृत्संकल्पित होकर कार्य कर रही है। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा ने कहा कि राज्य सरकार के प्रयासों से पेट्रोल व डीजल की कीमतों में सुधारों से श्रीगंगानगर एवं हनुमानगढ़ जिले के किसानों को राहत मिली है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसानों को अन्य कई राज्यों की तुलना में अधिक एमएसपी मिल रही है।
इससे पहले मुख्यमंत्री ने सभा स्थल पर जल संसाधन विभाग की ओर से लगाई गई प्रदर्शनी में विभिन्न प्रोजेक्ट मॉडल्स का अवलोकन किया। इसके पश्चात उन्होंने उद्यानिकी विभाग की प्रदर्शनी, पंच गौरव के तहत एक जिला एक प्रजाति, राजीविका के उत्पाद एवं कृषि विपणन विभाग के उत्पादों की जानकारी ली।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने गंग नहर का गौरवशाली निर्माण करने वाले महाराजा स्व. श्री गंगा सिंह की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। साथ ही, उन्होंने सादुलशहर में दो वर्षों में हुए विकास कार्यों पर आधारित पुस्तिका का भी विमोचन किया।
इस अवसर पर राज्य किसान आयोग के अध्यक्ष सी.आर. चौधरी, राजस्थान माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष प्रहलाद राय टांक, विधायक गुरवीर सिंह बराड़, जयदीप बिहाणी, सिद्धि कुमारी, हरलाल सहारण, गणेश राज बंसल, संजीव कुमार, पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ सहित विभिन्न जनप्रतिनिधिगण एवं बड़ी संख्या में किसान उपस्थित रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक

