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राज्य सभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा के दौरान आरोप-प्रत्यारोप

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राज्य सभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा के दौरान आरोप-प्रत्यारोप


नई दिल्ली, 15 दिसंबर (हि.स.)। राज्य सभा में सोमवार दोपहर एक बजे से चुनाव सुधारों पर चर्चा शुरू हुई। इस दौरान पक्ष औऱ विपक्ष की तरफ से जम कर आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए। चुनाव सुधारों पर चर्चा को जारी रखते हुए एआईएडीएमके सांसद डॉ. एम. थंबीदुरै ने कहा कि उनकी पार्टी को चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे हर कदम पर भरोसा है। स्वच्छ और सटीक मतदाता सूची लोकतंत्र को मजबूत करती है, पारदर्शिता मतदाताओं को सशक्त बनाती है और चुनाव प्रचार चुनाव प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

उन्होंने आगे कहा कि करूर की घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को राजनीतिक दलों के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) बनाने का निर्देश दिया था, जिसे मद्रास हाई कोर्ट ने भी दोहराया, लेकिन अब तक सरकार ने कोई एसओपी तैयार नहीं की है।

इस पर सभापति सी.पी. राधाकृष्णन ने उनसे राज्य के मुद्दे न उठाने को कहा। इस पर थंबीदुरै ने कहा कि वे चुनाव से जुड़े मुद्दों पर ही बोल रहे हैं। चुनाव प्रचार भी चुनाव सुधारों का हिस्सा है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद गुरविंदर सिंह ओबेरॉय ने चुनाव सुधार की चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि सहमति के बिना लोकतंत्र अस्तित्व में नहीं रह सकता और प्रतिनिधित्व के बिना वैधता नहीं हो सकती।

“हमारा रुख बिल्कुल स्पष्ट है, हम अनुच्छेद 370 को जिस तरीके से हटाया गया, उसे स्वीकार नहीं करते और हम इसे लोकतांत्रिक, संवैधानिक और शांतिपूर्ण तरीके से चुनौती देते रहेंगे।”

उन्होंने कहा कि हमें सत्ता से सच कहना चाहिए। चुप्पी को सहमति न समझा जाए, देरी को मंजूरी न माना जाए और आंदोलन की अनुपस्थिति को समर्थन न समझा जाए।”

कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि लोकसभा में राहुल गांधी द्वारा उठाए गए किसी भी सवाल का जवाब अब तक अमित शाह ने नहीं दिया है।

उन्होंने आरोप लगाया कि या तो चुनाव आयोग केंद्रीय गृह मंत्री को गुमराह कर रहा है या केंद्रीय गृह मंत्री जनता को गुमराह कर रहे हैं।

दिग्विजय सिंह के इस बयान पर राज्य सभा में सत्ता पक्ष की ओर से शोर-शराबा हुआ।

आम आदमी पार्टी के सांसद संदीप कुमार पाठक ने कहा कि आज राजनीति में कोई समान अवसर (लेवल प्लेइंग फील्ड) नहीं बचा है।

उन्होंने राजनीतिक दलों की फंडिंग में सुधार की मांग की।

उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन पर भी सवाल उठाए।

कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला

ने चर्चा में सरकार से सवाल किया कि अगर जनता भाजपा के साथ है तो बैलेट पेपर से चुनाव कराने में क्या समस्या है? सरकार को बैलेट चुनाव से डरना नहीं चाहिए।”

उन्होंने आगे कहा, “चुनाव आयोग लोकतंत्र की आत्मा है। अगर वह पारदर्शी नहीं है, तो लोकतंत्र जीवित नहीं रह सकता।”

राज्यसभा में विपक्ष पर हमला करते हुए झारखंड भाजपा नेता दीपक राकेश ने कहा,

“डॉ. बी.आर. आंबेडकर भारत में चुनावी धोखाधड़ी के पहले शिकार थे।”

उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस अपने फायदे के लिए एसआईआर का विरोध कर रही है। कांग्रेस फर्जी मतदाताओं को अपनी जेब में बनाए रखना चाहती है।

दीपक राकेश ने कहा कि वे झारखंड से आते हैं, जो घुसपैठियों से भरा हुआ है, और एसआईआर उन्हें साफ करने में मदद कर रहा है।

विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि 1954 के भंडारा उपचुनाव में जब डॉ. बी.आर. आंबेडकर हार गए थे, तब दलित समाज आहत हुआ था। डॉ. अंबेडकर कांग्रेस से हार गए थे और आज कांग्रेस उनके नाम का इस्तेमाल कर रही है।

उन्होंने विपक्ष से पूछा कि

उस समय स्वयं संविधान निर्माता डॉ. आंबेडकर ने चुनाव में धांधलियों के आरोप लगाए थे। तब चुनाव आयोग ने क्या किया था? जब डॉ. आंबेडकर और उनके साथ चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार ने चुनावी धोखाधड़ी और अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए चुनाव याचिका दायर की थी।

चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस सांसद (बिहार) अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि 21वीं सदी में लोकतंत्र को गोली से ज्यादा बैलेट से खतरा है।

उन्होंने चुनाव आयोग से सवाल करते हुए कहा कि क्या चुनाव आयोग को आधार कार्ड को अस्वीकार करना चाहिए था? क्या चुनाव आयोग पर यह जिम्मेदारी नहीं बनती कि एसआईआर सूची से हटाए गए नामों को सार्वजनिक किया जाए?”

उन्होंने कहा कि बीएलओ को केवल एक दिन का प्रशिक्षण देना भी गलत है, क्योंकि एक भी त्रुटि पूरी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाती है। उन्होंने दावा किया कि इसी वजह से अब तक 40 बीएलओ ने आत्महत्या कर ली है। चर्चा के बाद राज्य सभा की कार्यवाही मंगलवार 11 बजे तक स्थागित कर दी गई।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी