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उत्तरकाशी का मथोली गांव बना महिला शक्ति और पर्यटन विकास का आदर्श उदाहरण

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उत्तरकाशी का मथोली गांव बना महिला शक्ति और पर्यटन विकास का आदर्श उदाहरण


उत्तरकाशी का मथोली गांव बना महिला शक्ति और पर्यटन विकास का आदर्श उदाहरण


उत्तरकाशी का मथोली गांव बना महिला शक्ति और पर्यटन विकास का आदर्श उदाहरण


-‘ब्वारी गांव’ के रूप में चर्चित हो रहा है चिन्यालीसौड़ ब्लॉक का मथोली गांव

देहरादून, 09 अप्रैल (हि.स.)। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद के चिन्यालीसौड़ ब्लॉक स्थित मथोली गांव अब 'ब्वारी गांव' के रूप में पहचान बना रहा है। यहां की महिलाओं ने अपने आतिथ्य सत्कार, पाक-कला, और पारंपरिक जीवनशैली के साथ न केवल गांव को पर्यटन मानचित्र पर लाने का कार्य किया है, बल्कि महिला सशक्तिकरण की एक नई मिसाल भी कायम की है।

गांव में घस्यारी प्रतियोगिता के जरिए भी, पयर्टकों के लिए ग्रामीण जीवन की नई झलक प्रस्तुत की गई है, जो पर्यटकों को खूब भा रही है। जनपद में पयर्टकों का रुख आमतौर पर हर्षिल वैली या मोरी-सांकरी की तरफ ही होता है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मथोली गांव, ग्रामीण पर्यटन के साथ ही महिला सशक्तिकरण का भी उदाहरण है। यदि गांव का कोई परिवार होम स्टे संचालन के लिए आगे आता है, तो उन्हें पर्यटन विभाग की सभी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। साथ ही पंजीकरण प्रक्रिया में भी सहयोग किया जाएगा। मथोली गांव से अन्य लोगों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए।

गांव के युवक प्रदीप पंवार को मथोली को पहाड़ के आम गांव से पयर्टक गांव के रूप में बदलने का श्रेय जाता है। प्रदीप पंवार को कोविड 19 लॉकडाउन के दौरान अपने गांव लौटना पड़ा, सौभाग्य से उनके पास पयर्टन क्षेत्र में काम करने का अनुभव था। इसलिए उन्होंने गांव के पास मौजूद अपनी छानी (गौशाला) को होम स्टे में बदल कर, इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया। प्रदीप पंवार ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने उदृेश्य को लेकर 08 मार्च 2022 को मथोली गाँव में ग्रामीण जीवन और महिला सशक्तिकरण के लिए एक अनूठे उत्सव घसियारी महोत्सव के कार्यक्रम आयो​जन किया गया। इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में गैर राजनीतिक महिलाएं, जो गांव के उत्थान के लेकर संघर्ष कर रही थी उन्हें सम्मानित किया गया।

इसी के साथ प्रदीप पंवार ने गांव की महिलाओं को ही होम स्टे संचालन (आतिथ्य सत्कार, भोजन बनाने, ट्रैकिंग, विलेज टूर) का प्रशिक्षण दिया। साथ ही गांव की ब्रांडिंग ‘ब्वारी विलेज’ के तौर पर की, ताकि महिला सशक्तिकरण का संदेश दूर तक पहुंचे। इस बीच उन्होंने गांव में घस्यारी प्रतियोगिता के जरिए भी, पयर्टकों के लिए विलेज लाइफ की नई झलक प्रस्तुत की। जो पर्यटकों को खूब भा रही है। स्थानीय महिला अनीता पंवार बताती हैं कि गांव में अब अन्य महिलाएं भी अपनी छानियों को होम स्टे में परिवर्तित करने के लिए आगे आई हैं।

प्रदीप पंवार ने बताया कि उन्होंने अपने होम स्टे को पयर्टन विभाग में पंजीकृत करवा दिया है, जिससे वो ऑनलाइन बुकिंग भी ले सकते हैं। आठ मार्च 2022 से उन्होंने अपने होम स्टे की शुरुआत की थी, इसके बाद से यहां करीब एक हजार पयर्टक आ चुके हैं,जिससे करीब 20 महिलाओं को समय समय पर काम मिलता है।

पंजीकृत हैं 5,331 होम स्टेपयर्टन विभाग के पास इस समय 5,331 होम स्टे पंजीकृत हैं। जो ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं की ओर से संचालित किए जा रहे हैं। सरकार पंडित दीन दयाल उपाध्याय होम स्टे योजना के तहत होम स्टे की लागत पर मैदानी क्षेत्र में 25 प्रतिशत और पहाड़ी क्षेत्र में 33 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान करती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार