सहारा समूह को सर्वोच्च न्यायपालिका से झटका, 9 कंपनियों के खिलाफ जारी रहेगी SFIO की जांच

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देश की सर्वोच्च न्यायपालिका से गुरुवार को सहारा समूह को बहुत बड़ा झटका लगा है. सर्वोच्च न्यायपालिका ने समूह से जुड़ी 9 कंपनियों के खिलाफ SFIO (Serious Fraud Investigation Office) की जांच पर रोक लगाने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को वृहस्पतिवार को रद कर दिया है. सर्वोच्च न्यायपालिका के न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ SFIO द्वारा दायर अपील को स्वीकार कर लिया है. गौरतलब है कि कोर्ट के इस फैसले के बाद अब समूह की कंपनियों के खिलाफ जांच की राह खुल गई है. सर्वोच्च न्यायपालिका ने पाया कि मामले में जांच पर रोक लगाने के लिए उच्च न्यायालय का फैसला उचित नहीं था.

दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को दी थी चुनौती 

जानकारी के लिए बता दें कि SFIO ने सहारा समूह के प्रमुख के खिलाफ दिल्ली  हाईकोर्ट के 13 दिसंबर, 2021 के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायपालिका में अपील दायर की थी, जिसमें बाद की सभी कार्रवाइयों पर पूरी तरह रोक लगा दी गई थी. जिनमें दंडात्मक कार्रवाई और Lookout नोटिस शामिल है. सर्वोच्च न्यायपालिका ने 17 मई को SFIO की याचिका पर विचार करने को तैयार हो गया, जिसमें सहारा समूह की कंपनियों को राहत देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी. ध्यातव्य है कि उच्च न्यायालय ने सहारा समूह से जुड़ी 9 कंपनियों की जांच के लिए SFIO के 2 आदेशों के संचालन और क्रियान्वयन पर भी रोक लगा दी थी.

सहारा समूह के वकील ने बेंच से किया था सुनवाई का अनुरोध 

सहारा समूह की कंपनियों की ओर से पेश अधिवक्ता ने इस पीठ से इस मामले पर आज सुनवाई करने का विशेष अनुरोध किया. मीडिया सूत्रों से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि इस मामले में उनका नेतृत्व कर रहे देश के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल इस समय शहर में मौजूद नहीं हैं. कारपोरेट धोखाधड़ी की जांच करने वाली एजेंसी SFIO की ओर से पेश सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस अनुरोध पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है.