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सिक्किम का चो-ला पास और डोक-ला पास पर्यटन के लिए खुले

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सिक्किम का चो-ला पास और डोक-ला पास पर्यटन के लिए खुले


सिक्किम का चो-ला पास और डोक-ला पास पर्यटन के लिए खुले


- इसका उद्देश्य सीमा क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देना और आजीविका के मौके बनाना है: मुख्यमन्त्री

गंगटोक, 15 दिसंबर (हि.स.)। सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने सिक्किम में भारत-चीन सीमा पर चो-ला पास और डोक-ला पास को रणभूमि दर्शन पहल के तहत आधिकारिक तौर पर पर्यटन के लिए खोल दिया है। मुख्यमंत्री ने सोमवार सुबह राजधानी के रिज पार्क में हुए एक कार्यक्रम में 25 मोटरसाइकिल और गाड़ियों को हरी झंडी दिखाकर इस पहल की आधिकारिक रुप में शुरुआत की।

इस अवसर पर पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री तमांग ने कहा कि चो-ला पास और डोक-ला पास का उद्घाटन वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत किया गया है। उन्होंने बताया कि इसका मकसद सीमा क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देना और विनियमित पर्यटन गतिविधियों के जरिए स्थानीय समुदायों के लिए आजीविता मौके बनाना है। उन्होंने कहा कि यह पहल केंद्र सरकार, राज्य सरकार और सेना के बीच समन्वय की वजह से मुमकिन हो पाई है।

रणभूमि दर्शन का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पहल का मकसद रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सीमा इलाकों के ऐतिहासिक और सैन्य महत्व को प्रकाश में लाना है, ताकि उन्हें विनियमित पर्यटन के लिए खोला जा सके। उन्होंने कहा कि रणभूमि पर्यटन के बड़े अवधारणा के तहत शुरू किए गए इस कार्यक्रम का मकसद सशस्त्र बलों की बहादुरी और बलिदान के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाना, लोगों में देशभक्ति की भावना जगाना और सख्त सुरक्षा और पर्यावरण मानकों को बनाए रखते हुए स्थानीय समुदायों के लिए सतत आजीविका के मौके बनाना है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि इलाके में पूर्वाधार विकास का काम तेजी से चल रहा है और पर्यटन गतिविधियों को समर्थन करने के लिए जरूरी सुविधाएं दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि रणभूमि दर्शन के तहत सेना की ओर से आयोजित की गई सुपर कार रैली ने पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद की है। उन्होंने सफल आयोजन के लिए भारतीय सेना के अधिकारी मेजर जनरल एमएस राठौर, उनकी टीम और इस परियोजना से जुड़ी पूरी टीम को धन्यवाद दिया।

राज्य पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सीएस राव ने कहा कि पिछले दो महीनों से विभाग आर्मी के साथ समन्वय में इन पास को पर्यटन के लिए खोलने के लिए लगातार काम कर रहा था। उन्होंने बताया कि रणभूमि दर्शन सर्किट को दो दिन के पैकेज के तौर पर युद्धभूमि पर्यटन अनुभव के तौर पर चलाया जाएगा। इसके तहत होमस्टे की सुविधा और कम से कम टैक्सी किराया तय किया गया है।

हिन्दुस्थान समाचार / Bishal Gurung