कृषि कानून को लेकर सरकार और किसानों के बीच जारी गतिरोध का कोई भी हल अभी तक नहीं निकल पाया है. किसान नेता की मांग यही है कि सरकार किसी भी तरीके से पूर्ण रूप से किसान बिल को खत्म करे. जबकि सरकार का यह कहना है कि एक बार और वार्ता करके हम जो गतिरोध हैं, उसको दूर करने का हर संभव प्रयास करेंगे. ऐसे में सरकार और किसान दोनों के इरादे साफ हैं. किसान बिल में कोई संशोधन नहीं, बल्कि पूर्ण रूप से बिल खत्म करने की मांग कर रहे हैं. जबकि सरकार बिल में संशोधन करने को तैयार है, पूर्ण रूप से बिल को खारिज करने के पक्ष में नहीं है. सिंघु बॉर्डर पर कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन का आज 75वां दिन है. वहीं, दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन का आज 73वां दिन है. किसान संगठन सरकार से कृषि कानूनों (Repeal Of Farm Laws) को वापस लेने पर अड़े हैं. आज राज्यसभा में बोलते हुए पीएम मोदी ने आंदोलनकारियों से अनुरोध किया है कि वे इस आंदोलन को वापस लेकर सरकार के साथ मिलकर नये कानून पर चर्चा करें. वहीं, राकेश टिकैत ने पीएम की अपील का विरोध करते हुए कहा कि देश में अनाज की कीमत भूख के आधार पर निर्धारित नहीं हो सकती. https://twitter.com/ANI/status/1358661499409952769
भूख से तय नहीं होगी अनाज की कीमत
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा- 'किसानों के लिए फायदेमंद यह होगा कि सरकार MSP पर क़ानून बनाये. देश में लोगों की भूख से व्यापार करने वालों को नहीं बख्शा जाएगा. देश में अनाज की कीमत भूख से तय नहीं होगी. प्रधानमंत्री को अपील तो विधायकों और सांसदों से करनी चाहिए कि अपनी पेंशन छोड़े उसके लिए यह मोर्चा उनका धन्यवाद भी करेगा. मोदी की अपील पर टिकैत ने कहा-वापस हो कानून
राज्यसभा में धरने पर बैठे किसानों से पीएम की अपील के बाद भारतीय किसान यूनियन प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा- 'सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेकर एमएसपी पर एक नया कानून लागू करे.'टिकैत ने पीएम के आंदोलनजीवी वाले बयान पर पलटवार करते हुए कहा-हां, इस देश में किसानों की एक नई जमात पैदा हुई है. मोदी का किसानों को न्योता
पीएम मोदी ने किसानों से बातचीत का प्रस्ताव देते हुए कहा कि, 'किसानों से हमारे कृषि मंत्री लगातार बातचीत कर रहे हैं. अभी तक कोई तनाव पैदा नहीं हुआ है. एक-दूसरे को अपनी बात समझाने और समझने का प्रयास चल रहा है. हम आंदोलन कारियों से यह निवेदन करते हैं कि आंदोलन करना तो आपका हक है. लेकिन आन्दोलन में इस प्रकार से बुजुर्ग लोगों को बैठाना ठीक नहीं है, उनको आप घर ले जाइए. आप आंदोलन को खत्म कीजिए. आगे बढ़ने के लिए मिल-बैठ करके चर्चा करेंगे. 'मैं सदन से आपको वार्ता का आमंत्रण भी देता हूं.' पीएम ने कहा, हमें पहचानना होगा आंदोलनजीवी लोगों को
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'कुछ शब्दों से हम लोग बड़े अच्छे से परिचित हैं. श्रमजीवी... बुद्धिजीवी... ये सारे शब्दों से परिचित हैं. लेकिन मैं आजकल यह देख रहा हूं कि विगत कुछ समय से इस देश में एक नई जमात का जन्म हुआ है और वह जमात है आंदोलनजीवी. आप को ये जमात वकीलों के आंदोलन में भी नजर आयेगी, विद्यार्थियों के आंदोलन में नज़र आयेगी तथा मजदूरों के आंदोलन में भी नज़र आयेगी... कभी पर्दे के आगे तो कभी पर्दे के पीछे. ये एक पूरी टोली ही है जो आंदोलन के बिना जीवित नही रह सकती. हमें ऐसे लोगों को पहचानना होगा.'