बैंकॉक में बोले प्रधानमंत्री मोदी, भारत की एक्ट ईस्ट नीति और इंडो-पैसिफिक विजन में थाईलैंड का विशेष स्थान

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बैंकॉक में बोले प्रधानमंत्री मोदी, भारत की एक्ट ईस्ट नीति और इंडो-पैसिफिक विजन में थाईलैंड का विशेष स्थान


नई दिल्ली, 3 अप्रैल (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को बैंकॉक में कहा कि भारत की एक्ट ईस्ट नीति और इंडो-पैसिफिक विजन में थाईलैंड का विशेष स्थान है। आज हमने अपने संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाने का निर्णय लिया है।

थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनावात्रा के साथ प्रेस मीट को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियों के बीच ‘स्ट्रैटेजिक डायलॉग’ स्थापित करने पर भी चर्चा की। साइबर क्राइम के शिकार भारतीयों को वापस भारत भेजने में थाईलैंड सरकार से मिले सहयोग के लिए हमने थाईलैंड सरकार का आभार प्रकट किया। हमने भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों और थाईलैंड के बीच पर्यटन, संस्कृति, शिक्षा क्षेत्रों में सहयोग पर बल दिया है। आपसी व्यापार, निवेश और व्यवसायों के बीच आदान प्रदान बढ़ाने पर बातचीत की है। एमएसएमई, हथकरघा और हस्तशिल्प में भी सहयोग के लिए समझौते किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि भारत आसियान एकता और आसियान केन्द्रीयता का पूर्ण समर्थन करता है। हिंद-प्रशांत में, स्वतंत्र, खुला, समावेशी और नियम-आधारित व्यवस्था का हम दोनों समर्थन करते हैं। हम विस्तार-वाद नहीं, विकास-वाद की नीति में विश्वास रखते हैं।

थाईलैंड में हाल ही में आए भूकंप में हुई मौतों पर भारत के लोगों की ओर से शोक व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 28 मार्च को आए भूकंप में हुई जनहानि के लिए मैं भारत के लोगों की ओर से गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं और घायल लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और थाईलैंड के सदियों पुराने संबंध हमारे गहरे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक सूत्रों से जुड़े हैं। बौद्ध धर्म के प्रसार ने हमारे जन-जन को जोड़ा है। अयुत्थया से नालंदा तक ज्ञान का आदान-प्रदान हुआ है। रामायण की कथा थाई लोक-जीवन में रची-बसी है और संस्कृत-पाली के प्रभाव आज भी भाषाओं और परंपराओं में झलकते हैं। उन्होंने कहा, “पिछले साल भारत ने थाईलैंड को बौद्ध अवशेष भेजे थे, जिसने 40 लाख से ज़्यादा श्रद्धालुओं का ध्यान खींचा। मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि गुजरात के अरावली जिले में 1960 से 1963 के बीच खुदाई में मिली बौद्ध कलाकृतियां भी थाईलैंड भेजी जाएंगी।”

उन्होंने कहा कि भारत में आयोजित महाकुंभ में भी हमारा पुराना जुड़ाव देखने को मिला। थाईलैंड समेत कई देशों से 600 से अधिक बौद्ध श्रद्धालुओं ने इस आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम में हिस्सा लिया, जिससे वैश्विक शांति और सद्भाव का संदेश गया।

थाईलैंड सरकार की ओर से विशेष डाक टिकट जारी करने पर धन्यवाद देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं थाईलैंड सरकार का आभारी हूं कि मेरी यात्रा के उपलक्ष्य में 18वीं शताब्दी की ‘रामायण’ म्यूरल पेंटिंग्स पर आधारित एक विशेष डाक-टिकट जारी किया गया है। प्रधानमंत्री शिनावात्रा ने अभी मुझे त्रिपिटक भेंट की। बुद्ध-भूमि भारत की ओर से मैंने इसे हाथ जोड़ कर स्वीकार किया।”

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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार