दक्षिणी असम के दिमा हासो जिले की पहाड़ी घाटी में स्थित जतिंगा एक ऐसा गांव है जो अपनी प्राकृतिक अवस्था की वजह से साल में करीब 9 महीने तक बाहरी दुनिया से अलग-थलग रहता है. लेकिन सितंबर माह की शुरुआत से ही यह गांव खबरों की सुर्खियां बन जाता है. जिसका कारण है यहां पर होने वाली पक्षियों की सुसाइड की रहस्यमयी घटना. दरअसल अक्टूबर से नवंबर तक कृष्ण पक्ष की रातों में यहां पर पक्षी फरहा की की अजीबोगरीब एक घटना सामने आती है. शाम के करीब 7:00 बजे से लेकर और रात के करीब 10:00 से 10:30 के बीच अगर आसमान में दोनों छा जाए हवा की रफ्तार तेज हो जाए और कहीं से कोई रोशनी 9 दिखाई दे तो चिड़ियों की कोई खैर नहीं रहती है उनके झुंड कीट पतंगों की तरफ बदमाश होकर रोशनी के स्रोत पर गिरने लगते हैं आत्महत्या की दौड़ में स्थानीय और प्रवासी चिड़ियों की करीब 40 प्रजातियां शामिल है कहा जाता है कि यहां बाहरी और प्रवासी पक्षी जाने के बाद वापस नहीं आते और तो और इस घाटी में रात में जाने पर भी प्रतिबंध है. जाने क्या है, सच
जतिंगा दरअसल असम के बोरवेल हिल्स में मौजूद है. यहां काफी बरसात होती है और बेहद ऊंचाई पर होने की वजह से यह पहाड़ों से घिरे होने के कारण बादलों और बेहद ही गहरी धुंध का यह जमावड़ा रहता है. वैज्ञानिकों की मानें तो गहरी घाटी में बसे होने की वजह से जतिंगा में तेज बारिश के दौरान जब पक्षी यहां से उड़ने की कोशिश करते हैं तो पूरी तरीके से गीले हो चुके रहते हैं. ऐसे में प्राकृतिक रूप से उनके उड़ने की क्षमता खत्म हो जाती है. क्योंकि यहां काफी घने और कटीले जंगल है. ऐसे में गहरी धुंध और अंधेरी रातों के दरमियान पक्षियों से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं. जहां तक समय की बात है तो पक्षी शाम के समय अपने घरों को लौटने की कोशिश करते हैं ऐसे में इस समय दुर्घटनाएं ज्यादा होती है.