हिंदुओं ने वक्फ को संपत्ति दी तो बोर्ड में हिंदुओं के होने पर आपत्ति क्यों : निशिकांत दुबे

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नई दिल्ली, 02 अप्रैल (हि.स.)। लोकसभा में बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सदस्य निशिकांत दुबे ने वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन करते हुए इसमें गैर मुसलमानों को बोर्ड और परिषद का सदस्य बनाए जाने पर अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि वक्त हिंदुओं से संपत्ति ले सकता है तो हिंदुओं के सदस्य होने पर आपत्ति क्यों।

दुबे ने कहा कि दुनिया में सबसे पहले वक्फ करने वाला व्यक्ति यहूदी था। कई हिंदू महाराजाओं ने वक्फ को संपत्ति दान की है। ऐसे में गैर मुसलमान के वक्फ बोर्ड के सदस्य होने पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

निशिकांत दुबे ने कहा कि तुष्टिकरण की राजनीति करते हुए वक्फ पर पहला विधेयक एक प्राइवेट में बर बिल था जिसे नेहरू सरकार ने पास करवाया था। उस समय कुछ सदस्यों ने इसे संविधान विरुद्ध बताते हुए इसका विरोध भी दर्ज कराया था। उन्होंने इस दौरान अपने क्षेत्र में आने वाले ज्योतिर्लिंग के उनसे पहले मुस्लिम व्यक्ति के ट्रस्टी होने का भी संज्ञान कराया। उन्होंने कहा कि अमेरिका का राष्ट्रपति बाइबल की शपथ लेता है और मुस्लिम देशों के शासन अध्यक्ष कुरान की शपथ लेते हैं। लेकिन भारत में अगर गीता पर शपथ ली जाए तो इन लोगों को आपत्ति होती है। इस दौरान उन्होंने कहा कि नेहरू ने प्रधानमंत्री के तौर पर पहली बार शपथ गीता पर हाथ रख कर ली थी।

निशिकांत दुबे ने इस दौरान एक उदाहरण दिया और कहा कि होटल ताज मान सिंह दिल्ली में एनडीएमसी को 150 करोड़ किराया देता है। वहीं बंगलौर में वक़्फ़ ने करोड़ों के ज़मीन आईटीसी के होटल विंडसर को मात्र 50 हजार रुपये के किराए पर दे दी।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा