आस्ट्रेलिया के मैथ्यू ने काशी में किया पिंडदान, पिता की अंतिम इच्छा पूरी की

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आस्ट्रेलिया के मैथ्यू ने काशी में किया पिंडदान, पिता की अंतिम इच्छा पूरी की


आस्ट्रेलिया के मैथ्यू ने काशी में किया पिंडदान, पिता की अंतिम इच्छा पूरी की


बोले-अब हर साल पिता का पिंडदान सनातनी विधि से करेंगे, पिता की मौत आस्ट्रेलिया में हुई थी

वाराणसी, 20 मार्च (हि.स.)। अस्सीघाट पर एक आस्ट्रेलिया के युवक मैथ्यू को पिंडदान और श्राद्ध कर्म करते देख लोग आश्चर्य चकित रह गए। घाट पर सनातनी आस्था का वैश्विक रूप देख लोगों की भीड़ घाट पर जुट गई। पिंडदान के बाद मैथ्यू ने बताया कि उनके पिता का निधन आस्ट्रेलिया में हुआ था, लेकिन वे चाहते थे कि उनका पिंडदान काशी में सनातनी विधि से हो। अपने पिता के श्राद्ध कार्य के पहले उन्होंने सनातन धर्म के बारे में बहुत कुछ सीखा और उन्हें इससे गहरा प्रेम हो गया। उनकी यह इच्छा है कि वह सनातन धर्म को अपनाएं और हर साल अपने पिता के पिंडदान को यहीं, काशी में सनातनी विधि से करें।

मैथ्यू ने बताया कि उसके पिता हिन्दू थे और मां क्रिश्चियन थी। मेरे पिता ने मेरी मां से कहा था कि जब उनका निधन होगा तो उन्हें दफन न करके अग्नि से दाह संस्कार करना, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। उस समय मैं छोटा था। बड़ा होने पर सनातन धर्म के बारे में जाना और उसके बारे में जानकारी हासिल की। फिर अपने पिता के तर्पण के लिए काशी आया हूं। काशी एक धार्मिक स्थल है। यहां किसी भी कर्म-कांड के लिए बेहतर स्थान है। लेकिन, पितृ कार्य और श्राद्ध कार्य यहां पर अच्छे से किए जाते हैं। बनारस मोक्ष धाम है। मैथ्यू ने बताया कि सनातन धर्म से प्रेम हो गया है। बहुत से लोगों ने सनातन धर्म को अपनाया है, मेरी भी इच्छा है। मेरे देश में बहुत से ऐसे लोग हैं जो भारत के संस्कृति से प्रेम करते हैं।

मैथ्यू ने पूरे कार्य और कर्मकांड में रूचि दिखाई, गाइड से विधि समझी

पिंडदान कराने वाले तीर्थ पुरोहित पंडित बलराम मिश्र ने पत्रकाराें को बताया कि मैथ्यू ऑस्ट्रेलिया से बनारस आए हैं। इन्हें अपने पिताजी का श्राद्ध तर्पण करना था। अस्सी के गंगा घाट पर विधिवत तर्पण कराया गया। मैथ्यू ने पूरे कार्य और कर्मकांड में रुचि लेकर पूरे विधि विधान को समझा। उनके साथ मौजूद गाइड ने उन्हें अंग्रेजी में सभी पूजा के विधान को समझाया। लगभग एक घंटे तक विधि विधान से मैथ्यू ने घाट पर बुधवार की शाम पूजा अर्चना की। मां गंगा काे प्रणाम किया। पुरोहित मिश्रा ने बताया कि मैथ्यू की सनातन धर्म अपनाने की इच्छा है। इसलिए वाराणसी में भ्रमण कर वे तर्पण और श्राद्ध कर्म की विस्तार से जानकारी हासिल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि काशी मोक्ष और तर्पण की भूमि है। यहां पर पितरों के मोक्ष के लिए श्राद्ध व पूजन करने देश-विदेश से लोग आते रहते हैं। सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का प्रभाव न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी बढ़ रहा है।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी