देश भक्ति के गीत मन को भावों से भर देते हैं : खट्टर
नई दिल्ली, 30 जून (हि.स.)। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि गीत खासकर देशभक्ति के गीत मन में जो भाव पैदा करते हैं उससे राष्ट्र का कार्य करने में एक आनंद की अनुभूति होती है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम भी एक गीत ही था जिसने जन-जन के मन में देश की आजादी के लिए बलिदान की प्रेरणा पैदा की थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहते हुए गीतों के साथ अपने मन के भाव को साझा करते हुए खट्टर ने कहा कि आज से 100 साल पूर्व डॉक्टर हेडगेवार ने इस देश की आजादी को चिरस्थाई रखने के लिए ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रचलित 100 गीतों के एक संकलन को लोकार्पित करते हुए उन्होंने कहा कि संघ की यात्रा में इन गीतों का बहुत महत्व रहा है।
नई दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में सोमवार को आयोजित एक समारोह में संग सरिता नमक हितों के संग्रह को लोकार्पित किया गया। इस अवसर पर संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख शांत रंजन वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार, पूर्व राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित प्रमुख रूप से उपस्थित थे। गीतों का संकलन संघ के ही वरिष्ठ प्रचारक विजय कुमार ने किया है। यह पूरा आयोजन एक प्रकार से संघ गीतों से जीवन में हुए परिवर्तन का अनुभव कथन जैसा था। सभी वक्ताओं ने बताया कि उनके जीवन में उसे समय जो गीत गाए जाते थे, उसका कैसा प्रभाव होता था। ऐसे में संघ की शताब्दी पर उन्हें गीतों को फिर से दोहराने का आनंद सभी वक्ताओं ने व्यक्त किया।
मुख्य वक्ता संत रंजन ने कहा कि गीत हमें कर्तव्य पथ पर डटे रहने की प्रेरणा देते हैं। गीतों को गुनगुनाने से जो मानसिक विकास होता है और सामूहिक गीत से जो एकता स्थापित होती है। एक वातावरण बनता है उसकी कोई तुलना नहीं की जा सकती।
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हिन्दुस्थान समाचार / जितेन्द्र तिवारी