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कश्मीर में लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व के केंद्र में पर्यटन और स्टेटहुड का मुद्दा

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कश्मीर में लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व के केंद्र में पर्यटन और स्टेटहुड का मुद्दा
कश्मीर में लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व के केंद्र में पर्यटन और स्टेटहुड का मुद्दा


कश्मीर में लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व के केंद्र में पर्यटन और स्टेटहुड का मुद्दा


कश्मीर में लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व के केंद्र में पर्यटन और स्टेटहुड का मुद्दा


श्रीनगर, 11 मई (हि.स.)। अपनी नैसर्गिक सुंदरता से पर्यटकों का मन मोह लेने वाले वाले जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद यह पहला लोकसभा चुनाव हो रहा है। रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कश्मीर घाटी के श्रीनगर लोकसभा सीट के लिए 13 मई को वोटिंग होगी। सभी राजनीतिक दलों के उम्मीदवार न केवल मुद्दों से वोटरों को वाकिफ करा रहे हैं बल्कि वो खुद को उनके साथ भावनात्मक रूप से भी जोड़ने में लगे हैं।

श्रीनगर में आज (शनिवार) सुबह से चुनावी गहमागहमी शुरू हो गई है। चुनाव प्रचार का आखिरी दिन होने के कारण लाल चौक के कॉफी हाउस से डल झील के किनारे और हाउसबोट्स में भी चुनावी चक्कलस जोरों पर है। कश्मीर घाटी पहुंचे सैलानियों के लिए राजनीतिक रूप से श्रीनगर को जानने का यह अच्छा मौका है।

डल झील पर सालों से शिकारा चलाने वाले आमिर बताते हैं कि सरकार को पर्यटन को और बढ़ावा देने की जरूरत है। अगर कश्मीर को राज्य का दर्जा मिल जाए तो यहां तेजी से पर्यटन का विकास हो सकेगा। यहां की महिलाएं भी चुनाव के लिए काफी उत्साहित हैं। बड़गाम के एक गांव की पूर्व सचपंच अलीमा बताती हैं कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद यहां शांति है। पत्थरबाजी बंद हो गई है। पहले आतंकवादियों का बहुत खौफ रहता था। घरों से निकलने में भी डर लगता था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाकर शांति बहाली का बड़ा काम किया है।

कुपवाड़ा से पूर्व सरपंच रजनी बताती हैं कि उनके क्षेत्र में भी आंतकवादियों का काफी खौफ था । अब माहौल काफी शांत है। कश्मीरी पंडितों को वापस घाटी में लाने की आशा लिए वे कहती हैं कि अब सभी कश्मीरी पंडितों और सिख लोगों को अपने घर वापस लौटना चाहिए।

घाटी की तीन सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार नहीं उतारने से महिलाएं काफी निराश हैं। हलीमा बताती हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने अपना कोई उम्मीदवार चुनावी मैदान में नहीं उतारा, इस बात का बहुत दुख है। वे कहती हैं कि वे नरेन्द्र मोदी के हाथ मजबूत करना चाहती हैं, क्योंकि 05 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाकर उन्होंने यहां शांति का माहौल स्थापित कर दिया है। पहले यहां आए दिन आतंकी हमले, गोलीबारी और हड़ताल से हालात बहुत खराब थे। अब यहां कोई पत्थरबाजी नहीं है और टूरिज्म को भी बढ़ावा मिला है।

डल झील के पास कबाब सेंटर चलाने वाले लैइक बताते हैं कि यहां सैलानियों से ही उनका घर चलता है। अगर उन्हें थोड़ी और सुविधा दी जाए तो साल भर रौनक रह सकती है। गर्मियों में तो यहां सारे होटल फुल रहते हैं लेकिन बाकी मौसम में टूरिस्ट कम आते हैं। टैक्सी चलाने शमीम बक्करवाल बताते हैं घाटी का मुख्य मुद्दा रोजगार है। अगर यहां के युवाओं को अच्छा रोजगार मिल जाए तो वे भी घाटी के विकास में भागीदार हो सकेंगे। हालांकि अनुच्छेद 370 हटाने से वह क्षुब्ध नजर आए। उन्होंने कहा कि कौन चाहता है कि उनके विशेषाधिकार छीन लिए जाएं पर अब हमें राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए।

कश्मीर की पांच सीटों पर कौन कहां से उम्मीदवार

जम्मू-कश्मीर में पांच लोकसभा सीटें हैं - दो जम्मू में और तीन कश्मीर में। जम्मू संभाग की दो सीटों - उधमपुर और जम्मू - पर पहले दो चरणों में मतदान हो चुका है, जिसमें भाजपा उम्मीदवार केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने उधमपुर से और सांसद जुगल किशोर शर्मा ने जम्मू सीट से किस्मत आजमाई है । कश्मीर की तीन सीटों पर चुनाव होने हैं। अनंतनाग-राजौरी सीट पर पीडीपी से पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का मुकाबला एनसी के मियां अल्ताफ से हैं। इस सीट से अपनी पार्टी के जफर इकबाल मन्हास चुनावी मैदान में है। बारामूला लोकसभा सीट से एनसी से पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पीडीपी से फयाज मीर और पीपल्स कॉन्फ्रेंस प्रमुख सज्जाद लोन चुनावी मैदान में है। 13 मई को चौथे चरण के लोकसभा चुनाव में श्रीनगर सीट के लिए वोटिंग होगी। यहां नेशनल कॉन्फ्रेंस ( एनसी) के नेता आगा सैयद रुहुल्ला मेहदी, पीडीपी के वहीद पारा और अपनी पार्टी के मोहम्मद अशरफ मीर मैदान में हैं। बारामूला में 20 मई को और अनंतनाग -राजौरी सीट पर 25 मई को वोट डाले जाएंगे।

हिन्दुस्थान समाचार/ विजयलक्ष्मी/मुकुंद