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भारत की अंतरिक्ष यात्रा का नया अध्याय : दिसंबर में होगा ऐतिहासिक प्रक्षेपण, अंतरिक्ष में जाएगा रोबोट

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भारत की अंतरिक्ष यात्रा का नया अध्याय : दिसंबर में होगा ऐतिहासिक प्रक्षेपण, अंतरिक्ष में जाएगा रोबोट


भारत की अंतरिक्ष यात्रा का नया अध्याय : दिसंबर में होगा ऐतिहासिक प्रक्षेपण, अंतरिक्ष में जाएगा रोबोट


बर्दवान, 20 अगस्त (हि.स.)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अब केवल इंसान ही नहीं बल्कि इंसान जैसे दिखने वाले रोबोट को भी अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहा है। यह जानकारी इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने बुधवार को बर्दवान विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में दी। इस दीक्षांत समारोह में उन्हें डी.एस.सी. की मानद उपाधि देकर सम्मानित भी किया गया।

वी. नारायणन ने बताया कि इस साल इसरो कुल आठ उपग्रह प्रक्षेपण करेगा। ये सभी व्यावसायिक प्रक्षेपण होंगे और इन्हें भारतीय उद्योगों की मदद से बनाया जाएगा। इन कामों को अगले वर्ष जनवरी तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने सबको चकित करने वाली योजना की जानकारी देते हुए कहा कि इसरो इस साल पहली बार बिना मानव वाला मिशन करने जा रहा है, जिसे जी- एक प्रक्षेपण यान नाम दिया गया है। इसके जरिए अंतरिक्ष में इंसान जैसे दिखने वाले रोबोट भेजे जाएंगे। यह मिशन दिसंबर में करने की योजना है। अगर यह सफल होता है, तो अगले साल दो और ऐसे मिशन किए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि इस साल की शुरुआत में श्रीहरिकोटा से इसरो ने अपना 100वां प्रक्षेपण करके इतिहास रचा था। हालांकि मई में हुआ 101वां प्रक्षेपण तकनीकी खराबी के कारण सफल नहीं हो सका। इसके बावजूद इसरो इस साल दो बड़े मिशनों सहित कई और प्रक्षेपण करने जा रहा है। अभी अंतरिक्ष में 55 उपग्रह काम कर रहे हैं और आगे इनकी संख्या तीन गुना करने की योजना पर काम चल रहा है।

इसरो अध्यक्ष ने बताया कि इसरो द्वारा चंद्रयान-चार पर काम चल रहा है। यह मिशन चांद की सतह पर उतर कर वहां से मिट्टी-पत्थर के नमूने लेकर वापस लौटेगा चूंकि चंद्रयान-तीन की तुलना में चंद्रयान-चार अधिक भारी होगा, इसके लिए दो प्रक्षेपण यानों का उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा जापान की एक संस्था के साथ मिलकर चंद्रयान-पांच मिशन पर भी काम हो रहा है।

इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा कि प्रधानमंत्री के निर्देश पर मेक इन इंडिया की तर्ज पर 2035 तक भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इस स्टेशन से एक साथ पांच रॉकेट छोड़े जा सकेंगे। साथ ही अंतरिक्ष से जुड़ी तकनीक और कारोबार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने की भी कोशिश की जाएगी। अभी इसरो की हिस्सेदारी केवल दो प्रतिशत है, जिसे आने वाले समय में और भी बढ़ाया जाएगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनिता राय