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पूर्वोत्तर में आईआईएसएफ़ 2024 का आयोजन कल से, भारत को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित विनिर्माण केंद्र के रूप में आगे बढ़ाना है लक्ष्य 

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पूर्वोत्तर में आईआईएसएफ़ 2024 का आयोजन कल से, भारत को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित विनिर्माण केंद्र के रूप में आगे बढ़ाना है लक्ष्य 


नई दिल्ली, 29 नवंबर (हि.स.)। आईआईटी गुवाहाटी में शनिवार से भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव का 10वां संस्करण (आईआईएसएफ़ 2024) शुरू होने जा रहा है। इसमें देश - दुनिया से वैज्ञानिक और विशेषज्ञ भाग लेंगे। चार दिनों तक चलने वाले इस अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव का उद्घाटन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह करेंगे। इस मौके पर असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमन्त विश्व शर्मा, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड कोंगकल संगमा भी मौजूद रहेंगे। यह फेस्टिवल 3 दिसंबर तक चलेगा।

आईआईएसएफ़ के आयोजकों के अनुसार इसमें 8,000 से अधिक प्रतिनिधियों के आने तथा देश भर से प्रतिदिन 10,000 अतिरिक्त आगंतुकों के आने की उम्मीद है।

यह आयोजन भारत सरकार की मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहलों के अनुरूप है और इसका उद्देश्य विज्ञान, प्रौद्योगिकी और विनिमार्ण के क्षेत्र में नवाचार और वैश्विक प्रतियोगितात्मकता को बढ़ावा देना।

इस कार्यक्रम का आयोजन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में सीएसआईआर द्वारा आयोजित किया गया है। यह कार्यक्रम परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, आईआईटी गुवाहाटी तथा विज्ञान भारती के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।

आईआईएसएफ 2024 संचालन समिति की अध्यक्ष और सीएसआईआर की महानिदेशक डॉ एन. कलाईसेल्वी ने कार्यक्रम के बारे में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (आईआईएसएफ) एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि हम इसके 10वें संस्करण को पहली बार पूर्वोत्तर में लेकर आए हैं। यह आयोजन इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक और जैव-विविधता धरोहर को प्रदर्शित करता है और इसे भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी की उन्नति से जोड़ता है।

उन्होंने कहा कि गुवाहाटी में आईआईएसएफ की मेजबानी भारत सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जो देश के विभिन्न क्षेत्रों को राष्ट्रीय विज्ञान प्रणाली में एकीकृत कर एकता और नवाचार को बढ़ावा देने का प्रयास करती है। यह उत्सव केवल विज्ञान का जश्न नहीं है बल्कि राष्ट्रीय महत्व का एक आंदोलन है। अंटार्कटिका में वैज्ञानिकों के साथ छात्रों की सीधी बातचीत से लेकर नेतृत्व संगोष्ठियों और औद्योगिक शिखर सम्मेलनों की मेजबानी तक, आईआईएसएफ हमारे उस दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिसमें हम 2047 तक भारत को विज्ञान-आधारित वैश्विक निर्माण केंद्र में बदलने की आकांक्षा रखते हैं।

डॉ कलाईसेल्वी ने कहा कि आईआईएसएफ के माध्यम से हम 'समाज के लिए विज्ञान' का संदेश अधिकतम रूप से फैलाने और भारतीय विज्ञान को दुनिया के हर कोने तक पहुंचाने का उद्देश्य रखते हैं।

सीएसआईआर-एनआईआईएसटी तिरुवनंतपुरम के निदेशक डॉ. सी. आनंद रामकृष्णन ने कहा कि आईआईएसएफ़ समाज के सभी वर्गों के बीच वैज्ञानिक सोच, नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देने का एक मंच है। इसने वैज्ञानिकों, नवोन्मेषकों, विद्यार्थिओं और आम जनता की जिज्ञासा को बढ़ावा देने, सार्थक संवाद को प्रोत्साहित करने और विज्ञान के आविष्कारों का जश्न मनाने के लिए सबको एक मंच पर ले कर आया है।

इस आयोजन में अगले चार दिनों तक अत्याधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन, अग्रणी वैज्ञानिकों और नेताओं के साथ पैनल चर्चा, कई विज्ञान प्रतियोगिताएं , विषय आधारित कार्यक्रमों की एक विविध श्रृंखला में चंद्रयान को लेकर चंद्रमा का संग्रहालय, विज्ञान-तकनीक एक्सपो (विज्ञान-प्रौद्योगिकी-रक्षा-अंतरिक्ष प्रदर्शनी) का आयोजन किया जाएगा । इसके साथ अन्य कार्यक्रमों में उत्तर-पूर्व का विज्ञान ओडिसी (पूर्वोत्तर के लिए केंद्रित विज्ञान और प्रौद्योगिकी), मेक इन इंडिया; वैश्विक विनिर्माण शिखर सम्मेलन, द न्यू नालंदा (छात्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी गांव), प्रज्ञा भारत (विकसित भारत 2047 के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नए मोर्चे), नारी शक्ति (विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महिला विकास से महिला नेतृत्व वाले विकास तक), विज्ञान और प्रौद्योगिकी हैकाथॉन, युवा वैज्ञानिक सम्मेलन, मिशन स्टार्टअप (नवाचार, प्रौद्योगिकी और उद्यमिता), और नॉर्थ-ईस्ट सिम्फनी (पूर्वोत्तर सांस्कृतिक उत्सव) शामिल हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी