मातंगी दिव्य धाम में असाध्य रोग अस्थमा का होता जड़ से इलाज
छत्तीसगढ़ के पहले त्रिकालदर्शी मां मातंगी दिव्य धाम की महिमा अपरम्पार है। हजारों की तादात में भक्तों का निरंतर आना इस धाम की महिमा का खुद ब खुद बखान करता है। धाम में अलौकिक शक्ति का संचार होता जहां आने मात्र से आपके सभी बिगड़े काम बन जाते। इस धाम की ख्याति और प्रसिद्धि का आकलन इस बात से किया जा सकता कि इस धाम में विदेशों से भी भक्तों का जमावड़ा देखने को मिलता है।
वैसे ये धाम भूत प्रेत बाधा, आर्थिक संपन्नता और शत्रु नाश के लिए जाना जाता है, लेकिन इस धाम में असाध्य रोग अस्थमा का भी निशुल्क इलाज होता है। इलाज का तरीका इतना रोचक की आप भी एक बार देखेंगे तो सोचने के लिए विवश हो जाएंगे आखिर अस्थमा का इलाज धुएं से। जी बिल्कुल सही पढ़ रहे है आप। असाध्य रोग अस्थमा का इलाज धुएं से होता वो भी महज 3 दिन 3 खुराक। एक बार दवा लिए तो 90 प्रतिशत तक आराम और 3 बार ले लिए तो जड़ से अस्थमा खत्म हो जाता। इतने दावे के साथ हम इसलिए लिख पा रहे है क्योंकि लोगों का आराम हमारी आंखों के सामने हुआ है और पुरी आपबीती कैमरे में कैद हुईं है।
जब हमारी टीम धाम में पहुंची तो एक बालक जो कि धमतरी जिले का रहने वाला है, जिसका नाम डार्विन साहू है। वो तब तक दवा नही लिया था। डार्विन की उम्र महज 12 साल लेकिन सांस इस तरह से फूल रही थी जैसे की वो कितने साल से पीड़ित हो। बातचीत शुरु हुई तो बच्चा बोला मेरी उम्र 12 साल है मैं जन्म से ही अस्थमा से पीड़ित हूं l सुना है यहां अस्थमा की दवा पिलाई जाती तो आया हूं। बच्चे के साथ उसके मां-पिता और उसकी एक छोटी बहन मौजुद थे। बच्चे को थोड़ी देर बाद दवा पिलाई गई। 2 दिन बाद हम फिर पहुंचे वजह धुएं से हो रहे अस्थमा के ईलाज की दावे की जमीनी हकीकत तलाशना था।
हम शाम करीब 7 बजे धाम पहुंचे। पहुंचते ही बच्चे की तलाश शुरु किए। जो बच्चा 2 दिन पहले तक बात करने में हाफ रहा था, वो बच्चा दौड़ रहा था। बातचीत के दरमियान डार्विन के माता पिता कहते है ये धाम नहीं हॉस्पिटल है। मेरा बच्चा बचपन से आज तक दौड़ा नहीं था पहली हाई खुराक लेने के बाद बच्चा दौड़ने लगा। उसकी पुरी अंग्रेजी दवा बंद है। डॉक्टर बोले थे डार्विन को अभी 20 साल तक दवा खिलानी पड़ेगी लेकिन यहां धाम में आने के बाद पहली ही खुराक में बच्चा ठीक हो गया। हम बहुत खुश है। धाम बहुत ही चमत्कारी है। धाम में आए ऐसे बहुत से लोगों से हमारी टीम ने बातचीत की जो सालों से अस्थमा से पीड़ित थे लेकिन यहां आने के बाद 3 ही खुराक में अस्थमा जड़ से खत्म हो गया।
चिलम से दी जाती अस्थमा की दवा
असाध्य रोग अस्थमा की दवा जो की धुआं है, जिसको देने का तरीका बेहद ही अनोखा है। अगर आप पहली बार धाम गए और धाम में गर्भगृह के पीछे वाले हिस्से में पहुंच गए जहां अस्थमा की दवा दी जाती तो पहली बार देखने पर आप को यही लगेगा अरे ये क्या यहां तो सब चिलम पी रहे। लेकिन उस चिलम से असाध्य रोग अस्थमा की दवा पिलाई जाती है। जो भी पीड़ित रहता और दवा लेना चाहता उन सभी को कतार में बैठा दिया जाता और फिर बारी बारी से सबके मुंह पर चिलम लगाई जाती। लोग धुएं को अपने अंदर लेते ना की धुएं को छोड़ते है। इस तरह से 3 दिन 3 बार में यह असाध्य रोग हमेशा- हमेशा के लिए खत्म हो जाता है।