संसद ने पान मसाला निर्माण इकाइयों पर उपकर लगाने संबंधी विधेयक को दी मंज़ूरी
नई दिल्ली, 08 दिसंबर (हि.स.)। संसद ने सोमवार को राष्ट्रीय सुरक्षा और जन स्वास्थ्य पर व्यय बढ़ाने के लिए पान मसाला निर्माण इकाइयों पर उपकर लगाने संबंधी विधेयक को मंजूरी दे दी।
राज्यसभा ने स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025 को मंजूरी देकर लोकसभा को लौटा दिया। इस विधेयक को शुक्रवार को निचले सदन ने मंजूरी दे दी थी।
सोमवार को राज्य सभा में स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025पर चर्चा पर जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह उपकर नागरिकों के स्वास्थ्य और देश की सैन्य तैयारियों को मज़बूत करने के लिए मजूबत तंत्र प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि यह उपकर केवल अवगुण वस्तुओं पर लगाया जाएगा, किसी आवश्यक वस्तु पर नहीं। मंत्री ने कहा कि इस युग में, जब सुरक्षा तंत्र तेज़ी से बदल रहा है, विश्वसनीय रक्षा क्षमताओं के लिए राजस्व का एक समर्पित स्रोत जुटाना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आधुनिक युद्धों में सटीक हथियारों, स्वायत्त प्रणालियों और अंतरिक्ष परिसंपत्तियों का बोलबाला है।
निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट रूप से कहा है कि पान मसाला से वसूला जाने वाला उपकर, राज्यों को दिया जाएगा। चूंकि पान मसाला पर उपकर वसूला गया है, इसलिए इस राशि का उपयोग स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं पर किया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि बाजार में यह उत्पाद सस्ता न हो। चूंकि पान मसाला उत्पाद शुल्क योग्य नहीं है और इस पर अधिकतम 40 प्रतिशत तक ही जीएसटी लगाया जा सकता है, इसलिए केंद्र को उत्पाद की कीमत को जीएसटी से पहले की कीमत के बराबर लाने के लिए अतिरिक्त उपकर लगाना होगा ताकि लोग इस उत्पाद के सेवन से हतोत्साहित हों।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयुष्मान भारत और पश्चिम बंगाल की स्वास्थ्य साथी योजना की तुलना करते हुए कहा कि अगर बंगाल ने आयुष्मान भारत योजना लागू की होती, तो राज्य को 785 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि मिल सकती थी, लेकिन राज्य ने ऐसा नहीं किया, जिसका असर बंगाल के गरीब लोगों पर पड़ा।
तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने राज्यसभा में सवाल उठाए, जिसके बाद सभापति ने सदस्यों से अपील की कि वे सीतारमण को बहस का जवाब देने दें।
सीतारमण ने कहा, यह बंगाल की सड़कें नहीं हैं।
सीतारमण ने कहा कि राष्ट्रीय ढांचे से बाहर रहने से बंगाल के स्वास्थ्य क्षेत्र की आर्थिक क्षमता प्रभावित होती है। इस पर सदन में हंगामा होने लगा जिस पर हस्तक्षेप करते हुए सदन के नेता जे पी नड्डा ने सभी सांसदों से सदन को मछली बाजार न बनने की अपील की।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि 2013 से पहले, सरकार के पास रक्षा उपकरणों के उन्नयन के लिए धन नहीं था। इस बात पर ज़ोर देते हुए कि देश को अपनी सेना को तैयार रखने के लिए उपकरणों के उन्नयन हेतु धन के निरंतर प्रवाह की आवश्यकता है।वित्त मंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार नियमित रूप से नए रक्षा उपकरणों का उन्नयन और निवेश करती है।
सीतारमण ने मेक इन इंडिया योजना की भी प्रशंसा की और कहा कि भारत ने रक्षा उपकरणों के निर्यात से 25,000 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की है।
चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा सांसद माया नारोलिया ने कहा कि यह विधेयक यह सुनिश्चित करता है कि तंबाकू उत्पादों पर उच्च उपकर लगाकर लोगों को इनका सेवन करने से हतोत्साहित किया जाएगा। सांसद ने कहा कि यह उपकर आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग पर वित्तीय बोझ नहीं बनेगा।
सांसद कार्तिकेय शर्मा ने स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025 पर चर्चा करते हुए कहा कि अगर भारत को एक विकसित राष्ट्र बनना है, तो देश को सबसे पहले सुरक्षित और स्वस्थ बनना होगा। शर्मा ने बताया कि 1990 से 2023 तक, भारत में कैंसर के मामलों में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और कैंसर से होने वाली मृत्यु दर में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसका मुख्य कारण देर से जांच और मामलों का पता लगाना है। शर्मा ने इस विधेयक के लिए केंद्र सरकार को बधाई देते हुए कहा कि उपकर निधि पूरे भारत में कैंसर के मामलों का जल्द पता लगाने और निवारक जाँच के लिए धन मुहैया कराएगी।
(यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025 पर बात करते हुए कहा कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है।
चतुर्वेदी ने कहा कि वित्त मंत्री ने आश्वासन दिया है कि विधेयक के तहत एकत्रित उपकर राज्यों को दिया जाएगा, लेकिन केंद्र ने विधेयक में राज्यों को दिए जाने वाले उपकर की राशि या प्रतिशत का उल्लेख नहीं किया है।
एनसीपी (सपा) सांसद फौज़िया खान ने स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025 की संरचना और निहितार्थों पर चिंता व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि एकत्रित उपकर विभाज्य नहीं है और महाराष्ट्र जैसे राज्य, जो कार्यान्वयन लागत के मामले में अधिक बोझ उठाते हैं, नुकसान में हैं। विधेयक स्वास्थ्य उपकर तो बनाता है, लेकिन यह सुनिश्चित नहीं करता कि उपकर का उपयोग स्वास्थ्य उद्देश्यों के लिए किया जाए।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी

